पूर्व विधायक राजकुमार ने शहीदों को किया नमन, गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की पैरवी, सरकार से पूछे ये सवाल
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राजपुर विधानसभा से पूर्व विधायक राजकुमार ने उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण में जल्द घोषित करने की मांग प्रदेश सरकार से की। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने से कुछ नहीं होगा। साथ ही पर्वतीय जिलों के विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को जल्द इस संबंध में कोई निर्णय लेना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य स्थापना दिवस पर देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचकर राजकुमार ने कांग्रेस नेताओं के साथ राज्य के शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने राज्य के उज्जवल भविष्य की कामना की। साथ ही उम्मीद जताई कि वर्तमान सरकार प्रदेश के चहुंमुखी विकास पर ध्यान देगी। साथ ही उन्होंने राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित करने की मांग भी उठाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज्य में विकास कार्य ठप हैं। रोजगार के मामले में सरकार को तेजी लानी चाहिए। मुख्यमंत्री धामी के तीन साल के कार्यकाल में अब तक साढ़े 18 हजार सरकारी नौकरियों का दावा किया जा रहा है। शायद सीएम को अपना पहला वायदा याद नहीं रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि जब पहली बार पुष्कर सिंह धामी ने सीएम पद की शपथ ली थी तो तब उन्होंने कहा था कि छह माह के भीतर राज्य में रिक्त 22 हजार सरकारी पदों को भर दिया जाएगा। तब सीएम ने कहा था कि हम जो कहते हैं, वे पूरा करके दिखाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यदि 22 हजार नौकरियां छह माह से हिसाब से जोड़ी जाएं तो अब तक करीब सवा लाख युवाओं को सरकारी नौकरी मिल जाती। ऐसे में उनका पहला कथन भी जुमला रहा। हकीकत ये है कि आज भी विभिन्न सरकारी विभागों में हजारों पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि उद्योगों को लेकर बड़े बड़े दावे किए गए। ऐसे में सीएम को बताना चाहिए कि इन दावों का क्या हुआ। कितने नए उद्योग प्रदेश में लगे और कितनों को इसमें रोजगार मिला।
उन्होंने कहा कि राज्य की मूलभूत सुविधाओं में सड़क, स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा, बिजली, पानी का भी बुरा हाल है। ऐसे में आज शहीद आंदोलनकारियों की भावनएं पूरी होती नजर नहीं आ रही हैं। इन भावनाओं और सपनों के अनुरूप राज्य बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार को स्वयं ही संकल्पबद्ध होना होगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।