नहीं रहे उत्तराखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री नरेंद्र भंडारी, शिक्षा विभाग में उनके कार्यकाल में हुई थी सर्वाधिक 56 हजार नियुक्तियां
उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व शिक्षामंत्री नरेंद्र सिंह भंडारी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह करीब 92 साल के थे। नरेंद्र भंडारी उत्तराखंड के एक मात्र ऐसे शिक्षा मंत्री रहे, जिनके कार्यकाल में शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 56 हजार नियुक्तियां हुई थी।

उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व शिक्षामंत्री नरेंद्र सिंह भंडारी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह करीब 92 साल के थे। नरेंद्र भंडारी उत्तराखंड के एक मात्र ऐसे शिक्षा मंत्री रहे, जिनके कार्यकाल में शिक्षा विभाग में सर्वाधिक 56 हजार नियुक्तियां हुई थी। यही नहीं, उन्होंने उत्तराखंड में एनसीआरटी भी लागू करवाया था।
वर्ष 2007 के चुनाव में हार के बाद से नरेंद्र भंडारी ने सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया था। इसका कारण उम्र ज्यादा होना भी है। वह कांग्रेस से जुड़े रहे। वह उत्तराखंड में पौड़ी जिले के कालाबड़ में निवास कर रहे थे। 19/ 20 मई की देर रात उन्हें आवास में ही हार्ट अटैक पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। उनके दो बेटे शैलेंद्र और दीपेंद्र भंडारी हैं। दीपेंद्र उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश सचिव हैं। नरेंद्र सिंह भंडारी के निधन पर कांग्रेस में शोक की लहर है।
बचपन और शिक्षा
कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने नरेंद्र भंडारी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे हमारे मार्गदर्शक रहे। उन्होंने बताया कि नरेंद्र भंडारी पौड़ी के प्रतिष्ठित परिवार से थे। उनके बड़े भाई सुलदान सिंह भंडारी विधान परिषद सदस्य रहे। प्रारंभ से लेकर उनकी माध्यमिक शिक्षा पौड़ी जिले में हुई। इसके बाद वह लखनऊ चले गए और वहीं से उन्होंने आगे की शिक्षा ग्रहण की।
राजनीतिक सफर
उन्होंने बताया कि नरेंद्र भंडारी को वर्ष 1980 में हेमवती नंदन बहुगुणाजी ने कांग्रेस का टिकट दिलाया और वह पौड़ी विधानसभा से जीत गए। यहीं से वह चर्चा में आए। इस दौरान बहुगुणाजी ने कांग्रेस छोड़ी तो नरेंद्र भंडारी भी उत्तराखंड के उन चार विधायकों में थे, जो कांग्रेस छोड़कर बहुगुणाजी के साथ रहे। उनके साथ शिवानंद नौटियाल, कुंवर सिंह नेगी, भारत सिंह रावत ने भी कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद वे बहुगुणाजी से उनकी मृत्यु तक जुड़े रहे।
जनता दल में हुए शामिल
वर्ष 1989 में नरेंद्र भंडारी जनता दल में शामिल हुए। विनोद बड़थ्वाल और सूर्यकांत धस्माना के प्रयासों से वे मुलायम सिंह यादक के नजदीक आए। वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव ने उन्हें जनता दल से पौड़ी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिला। वह इस सीट से चुनाव जीत गए। इस दौरान वह पर्वतीय विकास परिषद के अध्यक्ष बने।
इसके बाद समाजवादी पार्टी का गठन होने पर वह वर्ष 1991 में सपा के संस्थापक सदस्यों में एक रहे। वर्ष 1993 में वह सपा के टिकट से पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। उस दौरान विनोद बड़थ्वाल की अध्यक्षता वाली उत्तराखंड राज्य निर्माण समिति के वह सदस्य रहे। साथ ही उन्होंने राज्य निर्माण को लेकर समिति की रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
राज्य आंदोलन के दौरान छोड़ दी सपा
नरेंद्र भंडारी ने वर्ष 1994 में राज्य आंदोलन के दौरान समाजवादी पार्टी छोड़ दी। वह कांग्रेस में चले गए। वर्ष 2002 में कांग्रेस के टिकट से वह उत्तराखंड में पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। एनडी तिवारी सरकार में वह शिक्षा मंत्री रहे। उन्होंने पूरे पांच साल तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि इन पांच सालों में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। उस दौरान उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में सर्वाधिक करीब 56 हजार नियुक्तियां की गई। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड में एनसीआरटी को लागू करवाया। वर्ष 2007 का चुनाव हारने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।