पहले पिता ने छोड़ा साथ, फिर कोरोना ने बनाया अनाथ, भीख मांगने वाले बच्चे की पलटी किस्मत, एक झटके में बना करोड़पति
बाल अवस्था में ही कठिन जीवन संघर्ष के सुखद अंत की कहानी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और उत्तराखंड के हरिद्वार जिले तक की है। हरिद्वार जिले में रुड़की क्षेत्र के अंतर्गत कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त गांव के युवक मोबिन ने शाहजेब नाम के इस बच्चे को पहचाना। इस पर उसने परिजनों को सूचना दी। इसके बाद बृहस्पतिवार को वे बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कहानी यूपी के जिला सहारनपुर के गांव पंडोली से शुरू होती है। यहां रहने वाली इमराना पति मोहम्मद नावेद के निधन के बाद 2019 में अपने ससुराल वालों से नाराज होकर अपने मायके यमुनानगर चली गई थी। वह अपने साथ करीब छह साल के बेटे शाहजेब को भी ले गई थी। शाहजेब के सबसे छोटे दादा सहारनपुर निवासी शाह आलम के मुताबिक, शाहजेब का परिवार पंडोली गांव में ही रहता था। पिता मोहम्मद नावेद खेती-बाड़ी संभालते थे। मां इमराना बच्चे का ख्याल रखती थी। नागल में शाहजेब डीपीएस स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बीच शाहजेब के पिता मोहम्मद नावेद का इंतकाल (निधन) हो गया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। शाहआलम ने मीडिया को बताया कि इसके बाद इमराना भी गांव छोड़कर मायके लौट गई। उस वक्त शाहजेब को साथ ले गई, जिसकी उम्र करीब छह साल रही होगी। इधर, दादा मोहम्मद याकूब बेटे के गुजरने, बहू व पोते के चले जाने से गहरे सदमे में आ गए और उनका भी इंतकाल हो गया। इंतकाल के पहले दादा ने अपनी आधी संपत्ति पौते के नाम लिख दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उधर, इमराना शाहजेब को लेकर कलियर में रहने लगी। कोरोना काल में वह संक्रमण का शिकार हुई और उसने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इसके बाद शाहजेब लावारिस हो गया। उसे होटल में बर्तन धोने और भीख मांगने तक लिए मजबूर होना पड़ा। जियारत पर कलियर आए मोबिन नाम के युवक ने उसे देखा और नाम-पता पूछा। तस्कदीक होने पर परिजनों को बताया तो वे कलियर से उसे घर ले गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजेब के सबसे छोटे दादा शाहआलम ने कहा कि वह उसे पढ़ाएंगे। अभी वह परिवार और बच्चों के साथ माहौल में रमने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि चूंकि जो दौर शाहजेब ने देखा, उससे बाहर निकलने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा। इसके बाद वह उसका दाखिला कराएंगे। दरअसल, उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। वसीयत में बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है।वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। इस वक्त उसकी उम्र करीब दस साल है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।