Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 10, 2024

पहले पिता ने छोड़ा साथ, फिर कोरोना ने बनाया अनाथ, भीख मांगने वाले बच्चे की पलटी किस्मत, एक झटके में बना करोड़पति

पिता की मौत के बाद चार साल तक एक बच्चे के जीवन में ऐसा घटा कि वह भीख मांगने को मजबूर हो गया। कोरोनाकाल में मां की मौत हुई और वह अनाथ हो गया। पेट भरने के लिए नन्हें बच्चे के जीवन में दुश्वारियां और बढ़ गईं। उसके पास न रहने को घर था और न खाने को दो वक्त की रोटी का कोई इंतजाम था। हालात ने उसे होटलों में झूठे बर्तन धोने और सड़कों पर भीख मांगने वाला बना दिया। फिर अचानक किस्मत पलटी और वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया। इस बच्चे को परिवार के लोग कई साल से तलाश रहे थे। मरने से पहले उसके दादा अपनी आधी संपत्ति उसके नाम लिख चुके थे। आखिरकार बच्चे को उसके घर परिवार के अन्य लोग मिले और उसे साथ ले गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बाल अवस्था में ही कठिन जीवन संघर्ष के सुखद अंत की कहानी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और उत्तराखंड के हरिद्वार जिले तक की है। हरिद्वार जिले में रुड़की क्षेत्र के अंतर्गत कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त गांव के युवक मोबिन ने शाहजेब नाम के इस बच्चे को पहचाना। इस पर उसने परिजनों को सूचना दी। इसके बाद बृहस्पतिवार को वे बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कहानी यूपी के जिला सहारनपुर के गांव पंडोली से शुरू होती है। यहां रहने वाली इमराना पति मोहम्मद नावेद के निधन के बाद 2019 में अपने ससुराल वालों से नाराज होकर अपने मायके यमुनानगर चली गई थी। वह अपने साथ करीब छह साल के बेटे शाहजेब को भी ले गई थी। शाहजेब के सबसे छोटे दादा सहारनपुर निवासी शाह आलम के मुताबिक, शाहजेब का परिवार पंडोली गांव में ही रहता था। पिता मोहम्मद नावेद खेती-बाड़ी संभालते थे। मां इमराना बच्चे का ख्याल रखती थी। नागल में शाहजेब डीपीएस स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस बीच शाहजेब के पिता मोहम्मद नावेद का इंतकाल (निधन) हो गया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। शाहआलम ने मीडिया को बताया कि इसके बाद इमराना भी गांव छोड़कर मायके लौट गई। उस वक्त शाहजेब को साथ ले गई, जिसकी उम्र करीब छह साल रही होगी। इधर, दादा मोहम्मद याकूब बेटे के गुजरने, बहू व पोते के चले जाने से गहरे सदमे में आ गए और उनका भी इंतकाल हो गया। इंतकाल के पहले दादा ने अपनी आधी संपत्ति पौते के नाम लिख दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उधर, इमराना शाहजेब को लेकर कलियर में रहने लगी। कोरोना काल में वह संक्रमण का शिकार हुई और उसने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इसके बाद शाहजेब लावारिस हो गया। उसे होटल में बर्तन धोने और भीख मांगने तक लिए मजबूर होना पड़ा। जियारत पर कलियर आए मोबिन नाम के युवक ने उसे देखा और नाम-पता पूछा। तस्कदीक होने पर परिजनों को बताया तो वे कलियर से उसे घर ले गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजेब के सबसे छोटे दादा शाहआलम ने कहा कि वह उसे पढ़ाएंगे। अभी वह परिवार और बच्चों के साथ माहौल में रमने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि चूंकि जो दौर शाहजेब ने देखा, उससे बाहर निकलने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा। इसके बाद वह उसका दाखिला कराएंगे। दरअसल, उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। वसीयत में बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है।वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। इस वक्त उसकी उम्र करीब दस साल है।

 

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page