लोगों की बीमारी से लड़ा फायर फाइटर, टाल दी शादी, जेब से खर्च कर दी रकम, जानिए कोरोना योद्धा की कहानी

कोरोनाकाल में बीमार जरूरतमंद लोगों की बीमारी से लड़ने वाले फायरमैन मनीष पंत को आज देहरादून के एसएसपी ने भी सम्मानित किया। मनीष ऐसा नाम है, जिन्होंने देहरादून शहर के साथ ही प्रदेश के दूर दराज क्षेत्र के बीमार लोगों की मदद की। उन्हें घर तक दवाई पहुंचाने में सहायता की। उन्होंने सेवा कार्य के लिए अपनी जमा राशि खर्च की। शादी को टाल दिया। लोगों के सेवा में जुट गए थे। उनके इस सेवाकार्य को जिसने भी सुना वही सराहना किए बगैर नहीं रह सका।
फायरमैन मनीष प्रसाद पंत वर्तमान में फायर स्टेशन देहरादून में नियुक्त हैं। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरतमंद व्यक्तियों तक जीवन रक्षक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आपरेशन संजीवनी नाम से अभियान चलाया था। इस दौरान जरूरतमंद व्यक्तियों तक दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई। फारमैन मनीष प्रसाद पंत के सराहनीय कार्यों के लिये उन्हें राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है।
एसएसपी देहरादून ने किया सम्मानित
फायरमैन मनीष की इस उपलब्धि तथा लॉकडाउन के दौरान उनके सराहनीय कार्यों की देहरादून के एसएसपी ने भी प्रशंसा की। एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने आज उन्हें शुभकामनाएं दी तथा भविष्य में भी इसी तत्परता से आम जन-मानस की सहायता करने की मनीष से अपेक्षा की।
ऐसे हुई शुरूआत
फायरमैन मनीष प्रसाद पन्त के अनुसार दिनांक 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू के दिन देहरादून में रहने वाली एक महिला का बीपी अचानक बढने से उनके परिजनों का फोन आने पर उन्होंने उक्त महिला के घर दवाई पहुंचाई। इसके बाद उन्हें ऐसा लगा कि कई ऐसे लोग होगें, जिन्हें दवाईयां की आवश्यकता होगी। उनके परिजन उनके पास नहीं होगें तथा लॉकडाउन की स्थिति में उनका बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है।
इसके बाद उन्होंने 23 मार्च 2020 को फेसबुक के माध्यम से ऑपरेशन संजीवनी प्रारम्भ किया गया। इसके अन्तर्गत अनुरोध किया गया कि जिन लोगों को दवाइयों की आवश्यकता है, वे लोग उन्हें मैसेज के माध्यम से अवगत करा सकते हैं। उनकी उक्त पोस्ट वायरल हुई तथा इसे 530 से अधिक बार शेयर किया। लोगों के मैसेज आने प्रारम्भ हो गए तथा वह लोगों को दवाईयां पहुंचाने लगे।
दूरस्थ क्षेत्र से भी आने लगे फोन
देहरादून शहर के अन्तर्गत दवाईयां पहुंचाना कोई मुश्किल कार्य नहीं था। वहीं, देहरादून के दूरस्थ पहाडी क्षेत्रों से उन्हें लोगों के फोन व मैसेज आने लगे। ऐसे लोगों तक दवा पहुंचाना चुनौतीपूर्ण था। इसमें उच्चाधिकारियों ने सहयोग किया। उनकी अनुमति के पश्चात सरकारी वाहन से मनीष ने ऐसे लोगों तक दवा पहुंचाई।
नहीं चुकाई पॉलिसी की किश्त, खरीदी दवा
इस दौरान मनीष ने पहले अपनी धनराशि से ही दवा खरीदी। धन की व्यवस्था कोई अवरोध न बने इसके लिए अपनी एलआईसी एवं यूलिप पॉलिसी की किश्तें भी नहीं भरी। 01 मई को होने वाले अपनी शादी को भी उन्होंने अग्रिम तिथियों तक टाल दिया। इस दौरान उन्होंने देहरादून के लोगों को अपने निजी वाहन से पांच बार डायलसिस के लिए अस्पताल पहुंचाया।
दूसरे जनपदों में ऐसे पहुंचाई दवा
प्रदेश के दूसरे जिलों के लोगों के जब दवा पहुंचाने के फोन आए तो उन्होंने लॉकडाउन की स्थित में अन्य जनपदों तक दवा पहुंचाने का भी रास्ता निकाला। ये कठिन जरूर था, लेकिन यदि ठान लो तो संभव था। उन्होंने दवा को एकत्र कर जरूरतमंद के नाम से पैकेज बनाए। इसके बाद प्रेस, राशन के वाहन आदि के माध्यम से दवा को दूसरे जिलों तक पहुंचाया। जरूरतमंद तक दवा पहुंचाने में उन्होंने वहां के पुलिसकर्मियों का सहयोग लिया।
दूसरे राज्यों में भी पहुंचाया राशन
फायरमैन मनीष प्रसाद ने निजी प्रयासों से देहरादून एवं उत्तराखंड के अतिरिक्त अपने मित्रों के सहयोग के माध्यम से चंडीगढ़, लुधियाना जैसे स्थानों पर किराये में रह रहे 20 लोगों तक निजी खर्चे से राशन पहुंचाया। 23 मार्च 2020 से प्रारम्भ इस आपरेशन ने तब तक कोई विराम नहीं लिया जब तक सार्वजनिक वाहन चलने प्रारम्भ नहीं हो गये।
कई चुनौती थी सामने
अपनी ड्यूटी के अतिरिक्त फायरमैन मनीष प्रसाद की ओर से चलाए गए अभियान आपरेशन संजीवनी के कार्य में तमाम तरह की चुनौतियां थी। जैसे वही दवाइयां एकत्र करना जो कि डॉक्टर के पर्चे पर लिखी हो, उनकी पुष्टि करना एवं उनको सही प्रकार से पैक कर उन लोगों तक पहुंचाना। तत्पश्चात जिन व्यक्तियों तक दवाइयां पहुंची, उनसे यह पुष्टि करना कि यह वही दवा है, जिनको वो ले रहे हैं। एक भी गलती किसी के जीवन पर भारी पड़ सकती थी।
प्रथमतः इस कार्य में आर्थिक बोझ स्वयं ही वहन करना था। एक बार उन व्यक्तियों तक दवाईयां पहुंच जाएं, उनकी ओर से तभी भुगतान किया जाना था। कई व्यक्ति जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी, उनसे दवाईयों की धनराशि भी नहीं ली गई। ऐसे व्यक्तियों तक राशन भी पहुंचाया गया। कुछ व्यक्तियों ने दवाइयां स्वयं ही खरीद ली, लेकिन वे परिजनों तक उन दवाइयों को नहीं पहुंचा पा रहे थे। ऐसे में दवा की डिलीवरी में मनीष ने मदद की।
अधिकतर राशि मिली वापस
फायरमैनकी ओर से जनपद देहरादून के अतिरिक्त जनपद उत्तरकाशी, टिहरी, पौडी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ, नैनीताल, पिथौरागढ जनपदों तक दवाइयां पहुंचाई। फायर मैन की ओर से खर्च की गई धनराशि से अधिकतर राशि उन्हें वापस प्राप्त हो गई। बाकी धनराशि को उन्होंने समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए समर्पित कर दिया। इस कार्य में उच्चाधिकारियों, प्रेस, आवश्यक सामग्री के वाहनों एवं विभिन्न जनपदों में नियुक्त पुलिस कर्मियों का पूर्ण सहयोग रहा है। अभी तक मनीष पंत की ओर से उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों के 120 से अधिक लोगों तक दवा पहुंचाई गई।
मिल चुके हैं ये अवार्ड
मीडिया की ओर से उन्हे मेडिसिन मैन कहा गया। भारत सरकार की ओर से ट्विटर के माध्यम से इस कार्य की सराहना की गई है। फायरमैन मनीश पन्त को राष्ट्रीय स्तर पर राइज इंडिया अवार्ड मिल चुका है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘शाइनिंग वर्ल्ड केयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।