दिल्ली शराब घोटाले की शिकायत करने वाले मुख्य सचिव पर एफआईआर, उत्तराखंड में स्कैम सबूत की फाइल चोरी में फंसे
ये भी बड़ा अजीबोगरीब है कि जो अधिकारी दिल्ली में शराब घोटाले की शिकायत करते हैं और उनकी शिकायत पर ईडी और सीबीआई की जांच शुरू होती है। फिर दिल्ली के सीएम सहित कई मंत्री जेल में पहुंच जाते हैं, अब वही अधिकारी स्कैम सबूत की फाइलें चोरी करने की शिकायत में घिर गए हैं। ये मामला उत्तराखंड के अल्मोड़ा का है। मतलब भ्रष्टाचार को लेकर जो अधिकारी सरकार पर आरोप लगाते हैं, वही ऐसे मामले में फंसते जा रहे हैं। अब इसे क्या कहेंगे। हालांकि, ये कानूनी प्रक्रिया है। किसी को किसी भी आरोप में तब ही दोषी माना जाता है, जब तक आरोप सिद्ध नहीं होते हैं। फिर भी बड़े अधिकारी के खिलाफ घोटाले की फाइलें चोरी करने का मामला छोटा मामला नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अदालत के आदेश के बाद मुख्य सचिव पर मुकदमा
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की एक अदालत के आदेश के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार और उनके अधीनस्थ अधिकारी वाईवीवीजे राजशेखर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। अल्मोड़ा के जिलाधिकारी विनीत तोमर ने कहा कि अल्मोड़ा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर अधिकारियों के खिलाफ गोविंदपुर में राजस्व पुलिस उपनिरीक्षक द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला स्कैम के सबूतों को चोरी करने से जुड़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि 2 मार्च को कोर्ट ने इन अधिकारियों के खिलाफ एक गैर सरकारी संगठन प्लेज़ेंट वैली फाउंडेशन की शिकायत को स्वीकार किया और राजस्व पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने और आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था। इन अधिकारियों पर आरोप हैं कि उन्होंने एक NGO द्वारा संचालित स्कूल में लोगों को भेजा और घोटालों में अधिकारियों की संलिप्तता के सबूत की फाइलें लूट ली हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं आरोप
प्लेज़ेंट वैली फाउंडेशन ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने 14 फरवरी को दादाकड़ा गांव में एनजीओ द्वारा संचालित एक स्कूल में चार लोगों को भेजा। इन लोगों ने एनजीओ के संयुक्त सचिव के कार्यालय कक्ष में तोड़फोड़ की और फाइलें, रिकॉर्ड, दस्तावेज और पेन ड्राइव ले गए। इनमें कथित तौर पर घोटाले से जुड़े सबूत थे। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें सतर्कता विभाग और अन्य जगहों पर घोटालों से जुड़ी शिकायतें दर्ज कराई। इसके बाद उन्हें शिकायत को वापस लेने की धमकी दी गई है। ऐसा न करने पर एनजीओ के अधिकारियों को फंसाने की भी धमकी दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एनजीओ का आरोप है कि उनसे भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों को तत्काल वापस लेने को कहा गया। आरोप है कि अफसर अपने साथ टाइप किए गए दस्तावेज ले गए थे, जिन पर साइन करने के लिए मजबूर करने की भी कोशिश की गई। शिकायतकर्ता ने कहा कि जब उसने विरोध किया तो हमलावरों ने दराज में रखी 63,000 रुपये की नकदी भी छीन ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन धाराओं में दर्ज किया गया है केस
राजस्व पुलिस प्रणाली केवल उत्तराखंड में ही लागू है, जो जिला प्रशासन के अधीन काम करती है। अल्मोडा के जिला मजिस्ट्रेट विनीत तोमर ने बताया कि अधिकारियों के खिलाफ मामला अल्मोडा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर गोविंदपुर के राजस्व पुलिस उपनिरीक्षक द्वारा दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ आईपीसी और एससी की धारा 392 (डकैती), 447 (आपराधिक अतिक्रमण), 120 बी (आपराधिक साजिश), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नरेश कुमार के बारे में
नरेश कुमार 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं। उन्हें अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर मिला है। वे अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं। उन्होंने 2022 में विजय देव की जगह दिल्ली के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी ली थी। नरेश कुमार ने 8 जुलाई 2022 को दिल्ली शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसकी जुड़ी एक रिपोर्ट उप राज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी। रिपोर्ट में उजागर किया गया था कि आबकारी मंत्री और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने शराब कारोबियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। सीबीआई ने नरेश कुमार की जांच के आधार पर केस दर्ज करते हुए छापेमारी की थी।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।