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September 15, 2025

पीएम मोदी का आभार जताने सीएम धामी के पास पहुंचे किसान, एमएसपी और अन्य मुद्दों पर नहीं हुई बात, क्या ये प्रचार का नया स्टंट

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को कैंप कार्यालय में प्रदेश भर के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भेंट की।

जब किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोरन शुरू किया तो भाजपा भी इन कानूनों के समर्थन में किसान सम्मेलनों का आयोजन किया। एक तरफ विरोधी और दूसरी तरफ समर्थक। हालांकि समर्थक ज्यादा दिन नहीं टिक पाए और किसान आंदोलन लगातार चलता रहा। वहीं, भाजपा समर्थित कुछ किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताते रहे। प्रचार तंत्र की चूक रही कि वे किसानों को समर्थन में खड़े नहीं कर पाए और पीएम मोदी को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी।
इस घोषणा के बाद भी अभी किसान संगठनों का आंदोलन समाप्त नहीं हुआ। हालांकि किसान नेताओं ने कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान का स्वागत तो किया था, लेकिन इन पर संसद में मुहर लगने तक इंतजार की बात भी कही थी। साथ ही एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने जैसे कई अन्य लंबित मांगों को भी सरकार के समक्ष रखा है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पत्र भी लिखा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत भी आयोजित की और अपनी मांगें दोहराईं।
सीएम से मिले आखिर कौन, ये नहीं किया खुलासा
सरकारी प्रेस नोट जारी कर उत्तराखंड में मीडिया को सूचना दी गई कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को कैंप कार्यालय में प्रदेश भर के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भेंट की। इसमें ये नहीं बताया कि आखिरकार वे किस संगठन से जुड़े लोग थे। हालांकि फोटो में जो लोग नजर आ रहे हैं, उनमें कई देहरादून के रेसकोर्स क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ता हैं। वे कृषि कानूनों के समर्थन में खड़े थे। क्योंकि जो किसान पहले से कानूनों का समर्थन कर रहे थे, यदि ये वहीं हैं तो उन्होंने भी पलटी मार दी। पहले समर्थन कर रहे थे और अब वापसी पर आभार जता रहे हैं। इसके विपरीत यदि ये वो किसान हैं, जो तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, तो भी यहां सवाल उठता है। सवाल ये है कि क्या उन्हें एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने संबंधी किसी मांग से कोई लेना देना है या नहीं। क्योंकि इस प्रेस नोट में इसका कहीं जिक्र नहीं किया गया। यानी कि इन किसानों को ना तो एमएसपी से कोई लेना देना है। ना ही उन्हें किसानों की अन्य मांगों से। वे पीएम की घोषणा पर ही खुश हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठता है कि क्या सरकार ऐसी मुलाकातों के बहाने ये जताने का प्रयास तो नहीं कर रही है कि उत्तराखंड में किसान भाजपा के साथ खड़े हैं। प्रेस नोट में न तो संगठनों का नाम है और न ही प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेता का।
प्रेस नोट में कहा गया कि- इस दौरान किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कृषि कानून पर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के लिए मुख्यमंत्री के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि किसानों के हित में केंद्र सरकार और राज्य सरकार लगातार कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश नए कीर्तिमान हासिल कर रहा है, शक्तिशाली भारत के रूप में दुनिया भर में देश का मान-सम्मान बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड, हेमकुंड साहिब में रोपवे का निर्माण समेत एक लाख करोड़ की योजनाओं का कार्य चल रहा है। इस दौरान तमाम किसान संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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