किसी व्यक्ति के कपड़े में आग लगाने के बाद भी नहीं होगा नुकसान, ऐसे कर सकते हैं ये चमत्कार
यदि किसी व्यक्ति को पास बुलाकर हम उसके पहले हुए कपड़े के एक हिस्से को जला दें और उसे ठीक कर दें, तो इसे क्या कहेंगे। ये जादू नहीं हाथ की सफाई है। या फिर हम कह सकते हैं कि ये विज्ञान भी है। जो हमें हाथ की सफाई करने के लिए दिमाग लड़ाना सिखाता है। अब हम ऐसी ही विधि आपको बताने जा रहे हैं। इसके लिए आपको सिर्फ दो वस्तुओं की जरूरत पड़ेगी। पहली है किसी भी रंग का कपड़े का छोटा टुकड़ा, दूसरी है गैस लाइटर या माचिस।
प्रयोग की विधि
सबसे पहले हम सामने दर्शकों में से उस व्यक्ति को प्रयोग के लिए चुनते हैं, जिसके कपड़े का रंग हमारे पास मौजूद कपड़े के रंग से मिलता जुलता हो। हम अपने वाले कपड़े को हाथ की मुट्ठी पर छिपा कर रखते हैं। उसी हाथ में अपने पास आए दर्शक की कमीज का एक हिस्सा पकड़ लेते हैं। फिर अत्यंत सफाई से मुट्ठी पर छिपाए कपड़े के टुकड़े का कुछ हिस्सा मुट्ठी से बाहर निकालकर दर्शकों को दिखाते हैं। व्यक्ति की कमीज का हिस्सा मुट्ठी में रहता है, लेकिन हमारे पास पहले से मौजूद कपड़े का हिस्सा मुट्ठी के बाहर निकलता है। ये काम बड़ी चालाकी से करना होता है।
अब कपड़े के इसी बाहरी हिस्से पर आग लगाते हैं। जिसकी कमीज होती है, वो तो हड़बड़ाहट में कुछ ज्यादा समझने की स्थिति में नहीं होता है। जब कपड़ा जलने लगता है तो उसे बुझाते हैं। इसी दौरान जले कपड़े को मुट्ठी के भीतर रख लेते हैं और व्यक्ति की कमीज को हाथ से छोड़ देते हैं। उसकी कमीज कहीं भी जली नजर नहीं आती और इसे लोग चमत्कार मान बैठते हैं।
तत्थ्य और सावधानियां
यह काम हाथ की सफाई पर निर्भर है। कपड़े का टुकड़ा लाइनदार व चैकदार न हो। कपड़ा सूती का हो, जिसके आग लगने पर और बुझाने पर आसानी से बुझ जाए और हाथ में न चिपके। सावधानी बरतनी होगी की आग लगाते समय व्यक्ति की शर्ट का हिस्सा बाहर न निकले। दर्शक में भी उसी का चयन करना चाहिए, जो सूती कमीज पहने हुए हो। छोटे बच्चों को ऐसे खेल के लिए प्रेरित न करें। उन्हें सिर्फ दिखाकर समझाया जा सकता है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।