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November 21, 2024

पर्यावरणविद सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने लिया हिरासत में, समर्थन में उत्तराखंड में किया उपवास

पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर लद्दाख भवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे पर्यावरणविद् एवं जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने रविवार को हिरासत में ले लिया। इस कार्रवाई को लेकर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के पास लद्दाख भवन के बाहर बैठने की अनुमति नहीं है। इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया है। वहीं, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने सामूहिक उपवास किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड इंसानियत मंच के तत्वावधान में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक के समर्थन में देहरादून कचहरी स्थिति मातृ शक्ति स्थल पर उपवास रखा। हिमालय और लद्दाख को बचाने की मुहिम के तहत लद्दाख से 30 दिन पैदल मार्च कर दिल्ली पहुंचे वांगचुक और उनके साथी दिल्ली में आमरण अनशन कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आज के उपवास में महिला मंच की संयोजक कमला पंत, जगमोहन मेंदीरत्ता, निर्मला बिष्ट, अनूप नॉटियाल, डॉ मुकुल शर्मा, राजेन्द्र कुमार, शांति देवी, त्रिलोचन भट्ट, प्रभात डंडरियाल, पूरण बर्तवाल, राकेश अग्रवाल आदि शामिल हुए। इन लोगों ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले भी लिया था हिरासत में
सोनम वांगचुक और उनके साथ अनशन कर रहे करीब 20 से 25 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद पुलिस उन्हें मंदिर मार्ग थाने ले गई। लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से सोनम वांगचुक और उनके कई समर्थक राष्ट्रीय राजधानी में घेरा डाले हुए हैं। अपनी मांगों को लेकर ये लेह से पदयात्रा करते हुए दिल्ली आए हैं। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने 30 सितंबर को सिंघु बॉर्डर पर इन सबको उस वक्त हिरासत में ले लिया था, जब ये लोग राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश कर रहे थे। दो अक्टूबर की रात को इन्हें रिहा भी कर दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है मांग
ये प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करने की मांग पर अड़े हुए हैं। उल्लेखनीय है कि संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के विशेष प्रावधान हैं। उनके अनुसार स्वायत्त परिषदों की स्थापना की जाती है, जिनके पास इन क्षेत्रों पर स्वतंत्र रूप से शासन करने के लिए विधायी, न्यायिक, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां हैं। प्रदर्शनकारी लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने, लोक सेवा आयोग तथा लेह और करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग भी कर रहे हैं।
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