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November 7, 2024

उत्तराखंड में निजी जल विद्युत परियोजनाओं के जनक ऊर्जा पुरुष इंजीनियर रतन सिंह गुनसोला का निधन

उत्तराखंड में निजी लघु जल विद्युत परियोजनाओं के जनक ऊर्जा पुरुष इंजी. रतन सिंह गुनसोला का आज शनिवार तड़के ढाई बजे निधन हो गया। वह 87 साल के थे।

उत्तराखंड में निजी लघु जल विद्युत परियोजनाओं के जनक ऊर्जा पुरुष इंजी. रतन सिंह गुनसोला का आज शनिवार तड़के ढाई बजे निधन हो गया। वह 87 साल के थे। बताया जा रहा है कि उन्हें सीने में दर्द की शिकायत उठी और उन्हें  परिजनों ने मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उन्होंने तड़के अंतिम सांस ली।
स्व. गुनसोला का जन्म 20 फरवरी 1934 को हुआ था। वह पहाड़ के विकास के लिए सदैव तत्पर रहते थे। इंजीनियर की नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने टिहरी जिले में अपनी दो जल विद्युत परियोजनाएं शुरू की। या यूं कहा जाए कि उत्तराखंड में लघु जल विद्युत परियोजनाओं की शुरुआत उन्होंने ही की। वह दो बार टिहरी जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके थे। यही नहीं वह सरकारों को उत्तराखंड के विकास को लेकर अपने सुझाव भी देते रहे हैं। उनका अध्ययन इतना ज्यादा था कि वह छोइंया (पानी के धारे व गदेरे) से भी जल विद्युत परियोजनाओं के साथ ही सिंचाई की पैरवी करते थे और सरकार को सुझाव देते थे। साथ ही तेजी से बढ़ने वाले पेड़ों को बंजर भूमि में उगाने का सुझाव भी उन्होंने सरकार को दिए।
स्व. गुनसोला ने 2002 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रहे किशोर उपाध्याय से करीब 2500 वोटों से चुनाव हार गये थे। वर्ष 2012 में भी वे उत्तराखंड रक्षामोर्चा से विधानसभा का चुनाव लड़े थे। लेकिन वे हार गए थे। इसके पहले वे वर्ष 1997 से 2003 और 2009 से 2014 तक टिहरी के जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे। हालांकि, अब उन्होंने राजनीतिक दलों से दूरी बना रखी थी।
ऊर्जा के क्षेत्र में उनके कार्यों को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने उन्हें ऊर्जा पुरुष के खिताब से नवाजा था। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले तक वह पूरी तरह स्वस्थ थे। सीने में शिकायत पर मैक्स में भर्ती किया गया था, जहां आज आधी रात के समय उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी पार्थिव देह को वसंत विहार लवली मार्केट के पास निवास पर दर्शनार्थ रखा गया। यहां से अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले गए। जहां उनके बड़े बेटे राजेंद्न गुनसोला ने मुखाग्नि दी। अपने पीछे वह धर्म पत्नी, बेटी शशि पंवार (शादीशुदा) व बेटे राजेंद्र और राजेश गुनसोला सहित नाती और पौतों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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