कोषागार के समक्ष किया कर्मचारी, शिक्षकों और अधिकारियों ने प्रदर्शन, प्रदेश सरकार को चेताया

इस मौके पर वक्ताओं ने सरकार व शासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षों से लम्बित समस्याओं का निराकरण न किये जाने के कारण प्रदेश के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारियों में रोष है। तमाम बड़े परिसंघ एवं संघ समन्वय समिति के बैनर तले एकत्र होकर समान रूप से प्रभावित करने वाले प्रकरणों को मांगपत्र में शामिल कर अब चरणबद्ध रूप से आन्दोलन किया जा रहा है। जोकि सरकार व शासन के लिए एक चेतावनी है कि यदि शीघ्र मांगपत्र में अंकित प्रकरणों का समाधान नहीं किया गया तो प्रदेश में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
गेट मीटिंग में वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश के कार्मिक, शिक्षक समुदाय अपनी मांगों को लेकर एकजुट हो गये हैं। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों यथा बागेश्वर, चम्पावत, पिथोरागढ, चमोली उत्तरकाशी आदि जनपदों से गेट मीटिंग के माध्यम से जनजागरण कार्यक्रम चलाये जाने की सूचना संयोजक मंडल को मिल रही है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश के कार्मिक एवं शिक्षक अपनी लम्बित मांगों को पूर्ण कराने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हो चुके हैं एवं मागों के निराकरण होने से पूर्व किसी भी दशा में आन्दोलन से विरत नहीं होगें।
इस मौके पर आयोजित सभा में गोल्डेन कार्ड को लेकर मुख्यमंत्री जी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा गया कि जब स्वास्थ मंत्री ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश दे दिये गये थे कि संशोधित प्रस्ताव मंत्रीमण्डल की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा तो फिर इस प्रकरण में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का क्या औचित्य है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इससे स्पष्ट हो रहा है कि कर्मचारी विरोधी मानसिक्ता वाले अधिकारी मुख्यमत्री को बरगलाने में सफल हो रहे हैं। जब प्रदेश के कार्मिकों एवं पेंशनर पूर्व में प्रचलित मुफ्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति के स्थान पर स्वंय अपने वेतन/पेशन से धनराशि जमा कर कैशलेश चिकित्सा की मांग कर रहे हैं तो फिर उन्हें उनकी मांग के मुताबिक कैशलेश चिकित्सा उपलब्ध कराने में सरकार/शासन को क्या परेशानी हो सकती है।
प्रदर्शन करने वालों में प्रताप सिंह पंवार, अरूण पांडेय, नन्द किशोर त्रिपाठी, शक्ति प्रसाद भट्ट, चौधरी ओमवीर सिंह, जीएस रावत, प्रताप सिंह रावत, रजनी सती, जीएस थलवाल, परमवीर सिंह, योगेश गुप्ता एवं अन्नत तलवार आदि कर्मचारी नेताओं ने प्रतिभाग किया।
सिलसिलेवार होगा आंदोलन
समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय ने बताया कि कल की गेट मीटिंग वन मुख्यालय दिलाराम बाजार राजपुर रोड, आरटीओ कार्यालय देहरादून एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम कार्यालय में की जाएगी। गेट मिटिंग का कार्यक्रम 19 सितंबर तक चलेगा। आंदोलन के दूसरे चरण में 20 सितंबर को प्रदेश के समस्त जनपदों में जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना/प्रर्दशन किया जाएगा। 27 सितंबर को देहरादून राजधानी में सहस्त्रधारा रोड़ एकता बिहार स्थित धरना स्थल पर एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय धरना/प्रर्दशन किया जाएगा। पांच अक्टूबर को देहरादून राजधानी में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली आयोजित की जायेगी। उसी दिन आगामी अनिश्चित कालीन आन्दोलन की घोषणा की जाएगी।
दोहराई गई ये मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाए।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-केन्द्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए 11 फीसद मंहगाई भत्ते की घोषणा शीघ्र की जाए।
5-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
6-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
7-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
8-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
10-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
11-सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों (शहरी विकास विभाग, पर्यटन विभाग, परिवहन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग आदि) के निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्थाई रूप से अधिकृत कर दिया जाए।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।