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September 20, 2024

उत्तराखंड में ईगास पर्व आज, प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश, सीएम धामी ने गढ़वाली में दी बधाई, खेला जाएगा भैलू

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उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाने वाला ईगास पर्व आज यानि कि चार नवंबर को है। इगास बग्वाल दीपावली के 11 दिन बाद एकादशी को मनाई जाती है। इगास बग्वाल को ‘इगास दिवाली’ और ‘बूढ़ी दिवाली’ भी कहते हैं। उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल की तरह इस बार भी चार नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। वहीं, कई संगठनों ने इस त्योहार को सामूहिक रूप से मनाने की तैयारी की है।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सीएम धामी ने दी गढ़वाली में बधाई
उत्तराखंड के लोकपर्व ईगास के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की जनता को बधाई दी है। सोशल मीडिया के जरिये अपने गढ़वाली में दिए गए संदेश में सीएम धामी ने कहा कि- म्यारा प्यारा उत्तराखंड वासियों, भोल हमारु लोक पर्व “इगास” बग्वाल हम सब्बि तें भोत धूम धाम से मनोण और अपणी नई पीढ़ी तें भी अपणा त्यौहारु से जोड़कर रखण। हमारा लोकपर्व गी सार्थकता तभी च, जब हम ये त्यौहार तें अपणी संस्कृति, प्रकृति और उत्पादूं से जोड़ला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

व्यापक रूप से पर्व मनाएगी बीजेपी, प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने दी शुभकामनाएं
उत्तराखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने प्रदेशवासियों को लोकपर्व ईगास व बूढ़ी दीवाली की हार्दिक शुभकामना दी है । उन्होंने आह्वाहन किया, हम सबकी जिम्मेदारी है कि देवभूनि की उन्नत संस्कृति व समृद्ध परम्परा को प्रदर्शित करने वाले इस महाउत्सव को व्यापक स्वरूप में मनाए और भावी पीढ़ी को गौरवान्वित करने वाली सांस्कृतिक पहचान सौपने का कार्य करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महेंद्र भट्ट ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि हम सबको न केवल स्वयं अपने अपने गाँवों में पारंपरिक रूप में इसे मनाना चाहिए बल्कि अपने जानकर प्रवासी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि इस बार पार्टी भी संगठन स्तर पर देवभूमि के इस लोकपर्व को व्यापक स्वरूप में मनाने जा रही है। इसमे पार्टी के सभी पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधि अधिकाधिक संख्या में अपने मूल स्थानों पर भागेदारी करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व विधायक ने दी बधाई
गंगोत्री विधानसभा के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने अपने संदेश में कहा कि उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति के प्रतिमान पारंपरिक लोकपर्व ‘इगास बग्वाल’ (बूढ़ी दिवाली) के पावन मौके पर मेरी ओर से आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं! ईश्वर करे यह पर्व आपके लिए सुख-समृद्धि एवं खुशहाली लेकर आए।
ये है मान्यता
मान्यता है कि भगवान श्रीराम जब रावण का वध करने के बाद अयोध्या पहुंचे तो इसकी सूचना उत्तराखंड को 11 दिन बाद मिली। तब यहां दीपावली मनाई गई थी। इसी दीवाली को इगास पर्व या बूढ़ी दीपावली कहते हैं। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले वीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार, श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धा बुलाकर सेना तैयार की गई। इस सेना ने तिब्बत पर हमला बोलते हुए वहां सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। तब बर्फबारी होने के कारण रास्ते बंद हो गए। कहते हैं कि उस साल गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली नहीं मनी, लेकिन दीपावली के 11 दिन बाद माधो सिंह भंडारी युद्ध जीतकर गढ़वाल लौटे तो पूरे क्षेत्र में भव्य दीपावली मनाई गई। तब से कार्तिक माह की एकादशी पर यह पर्व मनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

खेले जाते हैं भैलू
इगास पर्व के उपलक्ष्य में धनतेरस से ही पहाड़ों में भैलू बनाए जाते हैं। भेलू के लिए चीड़ की लकड़ी का छोटा गट्ठर बनाया जाता है। इसे पेड़ की बेल या छाल से बांधा जाता है। इसका एक सिरा लंबा छोड़ दिया है। इगास पर्व के दिन इस पर आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। मौके पर पूरे गांव के लोग एकत्र होते हैं। ढोल दमाऊ बजते हैं और लोग उत्सव मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो अपने ऊपर भेलू घुमाता है, उसके ऊपर से दीपावली के दिन सारे संकट दूर हो जाते हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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