ईडी को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस को किया रद्द
ईडी की कार्यप्रणाली पर अक्सर विपक्ष सवाल उठाता रहा है। साथ ही तर्क गिनाए जाते हैं कि ईडी एकतरफा कार्रवाई करती है। उसके सारे काम ऐसे होते हैं, जिससे केंद्र की सरकार की ओर से दबाव बनाकर दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ा जाए। दिल्ली आबकारी नीति के जिस मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, उसी मामले में ईडी पर बड़े सवाल खड़े किए गए। जिस व्यक्ति पर आम आदमी पार्टी को रिश्वत देने के आरोप लगे, उसी मामले में जब वह जेल में गया तो पांच दिन बाद ही उसकी ओर से बीजेपी को पांच करोड़ का चंदा दिया गया। फिर वह 52 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड लेता है और बीजेपी उसे भुनाती है। इसके बाद वह जेल से बाहर आ जाता है। ईडी उसकी जमानत का विरोध नहीं करती है। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें कई कंपनियों पर पहले ईडी और सीबीआई के छापे पड़ते हैं, इसके बाद वे करोड़ों का चुनावी चंदा दे देती हैं। इसी तरह ईडी और सीबीआई के मामलों में फंसे दूसरे दलों के विधायक और सांसद बीजेपी में जाते हैं तो उनकी जांच ठंडे बस्ते में चली जाती हैं। बीजेपी में ऐसे नेताओं की लंबी सूची है। ऐसे में विपक्ष ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों पर बीजेपी के टूल की तरह आरोप लगाता रहा है। इस बीच खबर आई कि छत्तीसगढ़ के मामले में ईडी को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुप्रीम कोर्ट ने किया केस रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने दो हजार करोड़ रुपये के कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर शिकायत आयकर अधिनियम अपराध करने के लिए एक कथित साजिश (धारा 120 बी आईपीसी) पर आधारित थी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अनुसार एक अनुसूचित अपराध नहीं है। चूँकि मामले में कोई विधेय अपराध नहीं है, इसलिए अपराध की कोई आय नहीं है। अदालत ने कहा, इसलिए, मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं हो सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस संबंध में, न्यायालय ने पावना डिब्बर बनाम ईडी में अपने फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि जब आपराधिक साजिश किसी अनुसूचित अपराध से संबंधित नहीं है, तो ईडी आईपीसी की धारा 120 बी का उपयोग करके पीएमएलए को लागू नहीं कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने दिया ये तर्क
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि चूंकि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है, जैसा कि उपरोक्त निर्णय (पावना डिब्बर) में कहा गया है। पीएमएलए की धारा 2 के खंड (यू) के अर्थ के भीतर अपराध की कोई भी आय नहीं हो सकती है। यदि अपराध की कोई आय नहीं है, तो स्पष्ट रूप से अपराध है पीएमएलए की धारा 3 के तहत मामला नहीं बनता है। जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि जब विशेष अदालत ने संज्ञान नहीं लिया है तो शिकायतों को रद्द करना जल्दबाजी होगी, याचिकाकर्ताओं, जिनका प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने किया, कहा कि संज्ञान लिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रथम दृष्टया शिकायतें अस्थिर
न्यायालय ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि संज्ञान लिया गया था या नहीं, क्योंकि शिकायतें प्रथम दृष्टया अस्थिर हैं, क्योंकि इसमें कोई मनी लॉन्ड्रिंग अपराध शामिल नहीं है। इस मामले में प्रथम दृष्टया कोई अनुसूचित अपराध मौजूदा नहीं है। इसलिए अपराध की कार्यवाही नहीं हो सकती है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि पीएमएलए की धारा 3 के तहत कोई अपराध नहीं हो सकता। इसलिए, विशेष अदालत को सीआरपीसी की धारा 204 के साथ पढ़ी गई धारा 203 के अनुसार अपने विवेक का प्रयोग करने की का निर्देश देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में की जा रही थी सुनवाई
पीठ आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शिकायत में केवल अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को आरोपी के रूप में नामित किया गया था, जबकि अन्य को ईसीआईआर में नामित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि चूंकि शिकायत में अन्य लोगों का नाम नहीं है, इसलिए उनकी याचिकाओं पर विचार करना जरूरी नहीं है। अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी के खिलाफ शिकायत खारिज कर दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई पर खड़े किए सवाल
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी की कार्रवाई पर सवाल खड़ किए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान सामने आए कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह उजागर हो गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किस तरह से साजिश रच रही है। भूपेश बघेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि ईडी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मोदी सरकार हुई बेनकाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी टिप्पणी में कहा कि अपराध से कोई संपत्ति नहीं अर्जित की गई है। इस फैसले के बाद बघेल ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए। किसी राजनीतिक दल के प्रति नहीं। बघेल ने कहा कि ईडी का शर्मनाक राजनीतिक दुरुपयोग साबित हुआ और मोदी सरकार बेनकाब हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बघेल ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भूपेश बघेल ने कहा कि शीर्ष अदालत के आज के फैसले से साबित हो गया है कि ईडी बीजेपी के इशारे पर हर मामले को धन शोधन का मामला बनाकर विपक्षी दलों को बदनाम करने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय ईडी ने शराब घोटाले का मामला दर्ज किया और बीजेपी को चुनावी हथियार दिया। बीजेपी ने पूरे चुनाव में कांग्रेस की सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि बीजेपी सिर्फ झूठ फैला रही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी की केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम करने का यह षडयंत्र खुल गया है। यह सही समय है जब ईडी जैसी जांच एजेंसियों को भी समझना चाहिए कि उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए, वे किसी राजनीतिक खेल का हिस्सा न बनें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ईडी ने आरोपपत्र में किया ये दावा
पिछले साल जुलाई में, ईडी ने रायपुर की धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में कथित शराब घोटाला मामले में अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) दायर किया था। इसमें दावा किया था कि कथित शराब घोटाला में 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ। ईडी ने कहा था कि आबकारी विभाग की मुख्य जिम्मेदारी शराब की आपूर्ति करना, जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए उपयोगकर्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शराब आपूर्ति सुनिश्चित करना और राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ईडी ने आरोपपत्र में दावा किया था कि अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता और रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई) के नेतृत्व में आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों को पलट दिया। इसमें कहा गया कि इस सिंडिकेट में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, नेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एसीबी ने भी दर्ज किया 70 लोगों पर मामला
इस वर्ष की शुरुआत में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी ईडी की एक रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस नेताओं और कंपनियों सहित 70 लोगों के खिलाफ कथित शराब घोटाले में मामला दर्ज किया। पिछले सप्ताह कथित घोटाले में अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को गिरफ्तार किया गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।