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September 17, 2024

आपदा के दौरान बीजेपी नेता परिवार सहित पहुंचे केदारनाथ, सीएम को छोड़नी होगी एकला चलो की रणनीति, कहां गए मंत्री और सांसद

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उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में जगह-जगह बादल फटने और अतिवृष्टि से आपदा का मंजर है। ऐसे में राज्य सरकार को जनता के सामने सही तस्वीर रखनी चाहिए। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मुख्यमंत्री अकेले ही दिखाई पड़ रहे हैं, जबकि राज्य में आधा दर्जन मंत्री और हैं। वे कहां हैं और क्या कर रहे हैं, इसका किसी को कुछ पता नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि इस वक्त अपने अपने प्रभार वाले जिलों में मंत्रियों को होना चाहिए था, लेकिन सीएम धामी की एकला चलो की नीति के चलते मंत्री भी चुपचाप बैठे हैं। जनता के इस कष्ट और पीड़ा के समय पर मंत्रियों को उनके साथ खड़ा होना चाहिए, लेकिन वे कहीं धरातल में नजर नहीं आ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि कोई भी टीम तभी सफल होती है, जब कप्तान सबको साथ लेकर चले। पीएम नरेंद्र मोदी की तर्ज पर ही सीएम धामी हर काम का श्रेय खुद लेने का प्रयास करते हैं। जब किसी को वह तव्वजो नहीं देंगे तो उनका साथ दूसरे भी क्यों देंगे। आपदा जैसी घड़ी में जब सबको साथ होना चाहिए था, तो मंत्रियों ने भी संकट की इस घड़ी में चुप्पी साध ली। उत्तराखंड में जब से सरकार बनी है, तब से लेकर आज तक मुख्यमंत्री का या तो अपने मंत्रियों पर भरोसा ही नहीं है। या फिर उनका अपने मंत्रीयों पर कोई जोर ही नहीं। या फिर मंत्रियों को सीएम पर विश्वास नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान देश के गृहमंत्री अमित शाह ने पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अनिल बलूनी के लिए गढ़वाल की जनता से कहा था कि अब गढ़वाल की चिंता बलूनी पर छोड़ दीजिए। जनता ने वही किया और अनिल बलूनी को भारी मतों से पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर उन्हें जिताया। आज वहां की जनता की आंखें अनिल बलूनी की बाट जोहते पथरा गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने कहा कि राहुल गांधी आपदा के दौरान अपने लोगों के बीच वायनाड हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उत्तराखंड के मंत्री, विधायक, सांसद सब जाने कहां गायब हैं। एक शब्द किसी के मुंह से नहीं निकल रहा। उल्टे सरकार आपदा से हुए नुकसान को छिपाने का प्रयास कर रही है। केदारनाथ यात्रा में गए 150 लोगों को तलाशने के लिए परिजन भटक रहे हैं। सरकार ये बताने की स्थिति में नहीं है कि वे किस हाल में हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि टिहरी से तीसरी बार की सांसद महारानी राजलक्ष्मी शाह कहीं नहीं दिख रही। वैसे भी वह कभी भी जनता की मुसीबत के मौके पर कहीं नजर नहीं आती। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी अधिकांश मामलों में मौके पर नहीं जाते हैं। उन्हें जबतक हेलीकॉप्टर ना मिले, तो वह कदम बाहर नहीं निकाल पाते हैं। अपने प्रभार वाले जिले हरिद्वार का हाल देखने वह आजतक नहीं गए हैं। रेखा आर्य कार्यक्रमों में रिबन काट रही हैं। उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि प्रदेश में आपदा से भारी नुकसान हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसी तरह वन मंत्री सुबोध उनियाल वनाग्नि के समय की तरह इस समय भी चुपचाप हैं। गरिमा ने कहा की यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने, धर्मांतरण कानून लाने और बुलडोजर चलाने तक तो ठीक था, लेकिन यदि सरकार यह समझ रही है कि आपदा भी अकेले मुख्यमंत्री के दौड़ने से निपट जाएगी, तो ऐसा मुमकिन नहीं है। गरिमा ने पूछा कि जनता आखिर किस दिन के लिए विधायक और सांसद चुनती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दसौनी ने यह कहा कि मानसून की तैयारी तीन चरणों में की जाती हैं। प्री मानसून, मानसून और पोस्ट मानसून। एनडीआरफ और एसडीआरएफ चाहे कितना ही अच्छा काम कर रही हो, लेकिन राज्य सरकार की जो प्री मानसून की तैयारी थी, वह उसमें पूरी तरह से फेल नजर आई है। दसौनी ने कहा कि ना ही वनाग्नि से पहले कोई तैयारीकी गई। न इस बार चार धाम यात्रा के इंतेज़ाम और तैयारी दुरुस्त की गई। ना अब मानसून सीजन से पहले कोई तैयारी दिखी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने कहा कि ऑल वेदर रोड जैसी योजनाएं विकासकारी कम और विनाशकारी अधिक साबित हो रही हैं। इनमें अंधाधुंध पेड़ो का कटान किया गया है। उसी अदूरदर्शिता का परिणाम आज प्रदेश की जनता भुगत रही है। यदि सभी यात्रियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, तो एक और दो तारीख को कितने यात्री गए और कितने वापस आए। कुछ तो रिकॉर्ड सरकार के पास होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गरिमा ने पूछा कि जब केदारनाथ यात्रा को स्थगित किया गया था तो बीजेपी नेता मदन कौशिक परिवार के छह सदस्यों के साथ केदारनाथ किस हेलीकॉप्टर से गए। जब सारी हवाई सेवाएं यात्रा और टिकट रोक दिए गए तो क्या वह रेस्क्यू करने वाले हेलीकॉप्टर से वह केदारनाथ गए। क्या यह सत्ता का दुरुपयोग नहीं। क्या ये आपदा में फंसे यात्रियों के साथ धोखा नहीं। क्या भगवान के दर्शन में भी वीआईपी कल्चर का ध्यान रखा गया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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