हिन्दी दिवस पर डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता- देवनागरी लिपि है जिसकी
देवनागरी लिपि है जिस की।
वह देवों की भाषा हिंदी है॥
मेरी आन -बान -मर्यादा है।
मेरा अभिमान भी हिंदी है॥
संस्कृत की दुहिता प्यारी हिंदी है।
उर्दू की प्रिय भगिनी भी हिंदी है॥
सुंदर सरस सुवृत्त और मधुरिम है।
देश प्रेम,देश भक्ति की अभिव्यक्ति हिंदी है।
देवनागरी लिपि है जिसकी।
वो देवों की भाषा हिंदी है॥ (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
संस्कृत, पालि, प्राकृत और अपभ्रंशों से उपजी हिंदी है।
तत्सम, तद्भव मानक सबका रखती जो मान वो हिंदी है।
दिल खोल के करती है सबका स्वागत,
अपना लेती सब मुख -सुख आगत।
बढ़ रहा है इसका परिवार निरंतर॥
भेद दिलों के सदा मिटाती, गले लगाए तत्वर।
प्रेम उपजाए, हर्षाए नित मिटाए अन्तर ॥
देवनागरी लिपि है जिसकी,
वो देवों की भाषा हिंदी है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
तुलसी के मानस का गान है हिंदी ।
भारतेन्दु का नव अभियान है हिंदी ॥
वैचारिक आदान-प्रदान है हिन्दी।
हमारी अस्मिता की, संस्कृति पहचान है हिंदी॥
भारत की एकता के लिए वरदान है हिन्दी,
विदेशों में भारतीयता का प्रमाण है हिंदी।
विश्वपटल पर हिन्दुस्तान है हिंदी
टीवी, धारावाहिक चित्रपट् पर लोकप्रिय है हिंदी
जै हिंद, जै वंदे मातरम्।
सैनिकों का विजय-प्रयाण है हिंदी॥
देवनागरी लिपि है जिसकी,
वो देवों की भाषा है हिंदी॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।