गुरतागद्दी दिवस पर लक्खीशाह गुरुद्वारे में सजा दीवान, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने टेका मत्था
इस मौके पर उन्होंने कहा कि श्री गुरुगोबिंद सिंह जी त्रिकालदर्शी थे। उनको यह मालूम था कि कलयुग के एक चरण में ऐसा समय आएगा, जब धर्म की आड़ में ढोंगी और भोगी लोग गुरुओं की वेशभूषा पहन कर अपने आप को भगवान घोषित कर देंगे। इसलिए उन्होंने अपने बाद देहधारी गुरु की परंपरा को समाप्त कर उसके स्थान पर श्री गुरुग्रंथ साहिब को ही गुरु घोषित करते हुए हुकमनामा जारी किया। इसमें कहा गया कि उनके बाद सब सिख हमेशा श्री गुरुग्रंथ साहिब को हो गुरु मानेंगे। किसी भी देहधारी को गुरु रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि आज जिस प्रकार से धर्म की आड़ में अनेक लोग स्वघोषित गुरु बन कर तमाम तरीके के व्यभिचार दुराचार व अपराध कर जेलों में हैं, उससे गुरुगोबिंद सिंह जी की दूरदर्शिता के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। श्री धस्माना ने कहा कि गुरुगोबिंद सिंह जी ने न केवल देहधारी गुरु परंपरा को समाप्त किया, बल्कि उन्होंने स्वयं अपने आपको भी भगवान कहने से लोगों को सख्ती से मना करते हुए कहा कि “जो हमको परमेश्वर उचरे नरक कुंड में उ सब परै।” (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इन चार दिनों तक चले कार्यक्रमों में गुरुग्रंथ साहिब के पाठ के अलावा देश के प्रसिद्ध कीर्तनियो में प्रमुख रूप से फतेहगढ़ से पधारे जसप्रीत सिंह, गंगानगर राजस्थान से पधारे गगनदीप सिंह, सुखपाल सिंह, अमरजीत सिंह, करण सिंह, गुरदयाल सिंह, चरण जीत सिंह, कंवरपाल सिंह, सतवंत सिंह, ओमवीर सिंह ने कीर्तन से लोगों को मंत्र मुग्ध किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा सूर्यकान्त धस्माना को सरोपा पहना कर सम्मानित किया। इस अवसर पर गुरु सिंह सभा के प्रधान सरदार गुरुबख्श सिंह, महामंत्री सरदार गुलजार सिंह, सरदार ओम प्रकाश राठौर, अशोक गोलानी आदि विषेश रूप से उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।