उत्तराखंड में विधानसभा और सचिवालय के बर्खास्त कर्मचारियों को हाईकोर्ट से झटका, एकलपीठ का आदेश निरस्त

कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को स्टे नहीं किया जा सकता। विधान सभा सचिवालय की तरफ से कहा गया कि इनकी नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के लिए की गई थी। शर्तों के मुताबिक इनकी सेवाएं कभी भी बिना नोटिस व बिना कारण के समाप्त की जा सकती हैं। इनकी नियुक्तियां विधान सभा सेवा नियमावली के विरुद्ध की गई हैं। वहीं, कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि उनको बर्खास्त करते समय अध्यक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 14 का पूर्ण रूप से उलंघन किया है। स्पीकर ने 2016 से 2021 तक के कर्मचारियों को ही बर्खास्त किया है, जबकि ऐसी ही नियुक्तिय विधान सभा सचिवालय में 2000 से 2015 के बीच भी हुई हैं, जिनको नियमित भी किया जा चुका है। यह नियम तो सब पर एक समान लागू होना था। उन्हें ही बर्खास्त क्यों किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले विधानसभा से बर्खास्त बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ व कुलदीप सिंह व 102 अन्य ने एकलपीठ के समक्ष बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाओं में कहा गया था कि विधान सभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 , 29 सितम्बर को समाप्त कर दी। एकल पीठ ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है। उसके बाद एक कमेटी ने उनके सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की, जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।