नवरात्र में दुर्गा पंडालों में उमड़ रही भक्तों की भीड़, महाअष्टमी आज, कन्या बुलाकर किया जाएगा पूजन
नवरात्रि के मौके पर घरों, मंदिरों के साथ ही पूजा पंडालों में मां दुर्गा की आराधना की जा रही है। पूजा पंडालों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। आज महाअष्टमी है। इस दिन मां दुर्गा के महागैरी स्वरूप की पूजा की जाती है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महाअष्टमी मनाई जाती है। इस दिन घर पर कन्या को बुलाकर उनका पूजन किया जाता है और उन्हें भोजन आदि करवाया जाता है। कुछ लोग इस दिन नवरात्रि के नौ दिनों का उद्यापन कर देते हैं। वहीं कुछ लोग महानवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। इस बार नवमीं 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी और विजय दशमी पर्व 15 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा।ये है पोराणिक कथा
महागौरी को माता पार्वती का ही रूप माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां ने कठोर तपस्या की थी। इस कारण उनका रंग बहुत काला पड़ गया था, लेकिन भगवान शिव ने मां के ऊपर गंगाजल छिड़क कर उन्हें फिर से गोरा कर दिया था। इसके बाद से उन्हें महागौरी कहा जाता है। इस साल महाअष्टमी आज यानी कि 13 अक्टूबर बुधवार को है। इस शुभ दिन अगर ज्योतिष के अनुसार कुछ उपायों को कर लिया जाए, तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
देर रात तक पूजा पंडालों में रही भीड़
देहरादून में दूनधाटी मां दुर्गा पूजा सेवा समिति (रजि) के तत्वावधान में आयोजित 11वें शरदोत्सव में कालिन्दी एन्क्लेव शोभा पैलेस में पंडित श्री शिवशंकर गोस्वामी जी के मन्त्रोच्चारण के साथ गत दिवस महासप्तमी पूजा की गई थी। संघ्या आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लेकर मां का आशीर्वाद प्राप्त किया।
आज महाअष्टमी पूजा सुबह से शुरू हो गई है। पुष्पांजलि और प्रसाद वितरण दोपहर 11 बजे से होगा। संधी पूजन और बलिदान सवा ग्यारह से सवा बारह बजे तक होगा। दोपहर एक बजे भोग होगा। 14 अक्टूबर को महानवमी पूजा होगी। सुबह 11 बजे पुष्पांजलि व प्रसाद वितरण होगा। इसके बाद भोग, हवन व भंडारा दोपहर एक बजे तक होगा। रात को संध्या आरती होगी। 15 अक्टूबर को सुबह आठ बजे दशमी पूजा होगी। नौ बजे सिंदूर खेला होगा। इसके बाद विजर्जन के लिए दुर्गा की प्रतिमा हरिद्वार के लिए सुबह दस बजे प्रस्थान करेगी। रात आठ बजे शांति जल एवं विजय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
पूजा महोत्सव में संरक्षक धर्म सोनकर, समिति के अध्यक्ष रामपदजना, प्रो प्रदीप सिंह, सर्वश्री त्यागी, डाक्टर आर एन शर्मा, जेके सिंह, हर्ष कुमार, एमएन पराशर, डाक्टर सिन्हा, हरीश चन्द्र झा, विनीत सिंह, नेहा, नन्दकिशोर, मनीष गुप्ता, शिवप्रसाद, विजय कुमार, एसएन सिंह, एके सिंह, अंजन कुमार, सुरेश कुमार, शरदकुमार, गौतम सोनकर, माधवी जाना, शोभा सोनकर, रोमा, रीमा, कंचन, निमई जाना, प्याली जाना, छोटे लाल, भोले नाथ राय, डीडी डालाकोटी, एचएस आहुजा, डाक्टर विजय अग्रवाल, डीसी गोयल, रेनु गोयल, नीरजा बजाज, शिवप्रसाद, नीरज अग्रवाल, सुनील आहुजा, विजय अरोड़ा, अर्जुन सिंह त्यागी, अनन्त आकाश आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।





