देहरादून में 504 घरों पर बुलडोजर अभियान के खिलाफ विभिन्न दलों और जनसंगठनों का नगर निगम पर प्रदर्शन

उत्तराखंड के देहरादून में करीब 504 घरों को अवैध बताते हुए बुलडोजर अभियान सोमवार से शुरू हो चुका है। आज मंगलवार को इस अभियान में सवाल उठाते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रभावितों के साथ नगर निगम पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। साथ ही वर्ष 2016 से पहले के बने मकानों पर किसी तरह की कार्रवाई किए जाने का कड़ा विरोध किया गया। साथ ही 30 मई को सचिवालय कूच को लेकर अधिक से अधिक लोगों के पहुंचने की अपील की। इस अवसर पर नगर आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री, शहरी विकास मन्त्री, मुख्य सचिव तथा जिलाधिकारी देहरादून को ज्ञापन प्रेषित किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड के देहरादून में 524 घरों पर बुलडोजर अभियान चलाया जा रहा है। नगर निगम और एमडीडीए इसकी तैयारी पहले से ही कर चुका है। रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों के देहरादून में आएदिन प्रदर्शन हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सोमवार को मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत आज हटाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अवैध ठहराया। इस मौके पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि प्रभावितों को समय दिया जाना चाहिए। इस मौके पर नगर आयुक्त को ज्ञापन दिया गया और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया गया। कहा कि 2016 से पहले बने मकानों के सबूत के तौर पर बिजली, पानी बिलों के अलावा आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड के साथ ही अन्य सभी आवश्यक कागजातों को सबूतों के रूप माना जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि 2016 से पहले बसे लोगों की सम्पति को क़ानूनी सुरक्षा मिली है। वहीं, लोगों के साक्ष्यों पर मनमानी आपत्तियां की जा रही हैं। मात्र बिजली और पानी के बिलों को ही मान्यता दी जा रही है, जबकि कई लोग हैं, जो पहले बसे थे। उन्होंने बिजली और पानी का कनेक्शन बाद में लगवाए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आरोप लगाया कि साक्ष्य पेश करने के लिए प्रभावितों को मात्र दो से छह दिन तक का समय दिया गया है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की ओर से जारी नोटिसों में 22 तारीख अंकित है, जबकि हकीकत में 22 तारीख को अधिकांश लोगों के पास यह नोटिस पहुंचा हि नहीं। यहां तक कि कुछ लोगों को 27 और 28 मई को ही नोटिस मिला है। नगर निगम की ओर से दिए गए नोटिसों के साथ भी ऐसे ही हुआ। उन नोटिसों में साक्ष्य पेश करने के बारे में ज़िक्र ही नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि यह बेदखली की प्रक्रिया कौन से कानूनी प्रावधान के तहत की जा रही है। किसी भी नोटिस में इसका ज़िक्र कहीं नहीं है। बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया स्पष्ट है। इसमें सुनवाई के लिए दस दिन दिए जाते हैं। बेदखली का आदेश होने के बाद तीस दिन स्वयं हटाने के लिए समय दिया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के अनेक फैसलों के अनुसार बिना पुनर्वास का व्यवस्था कर किसी को बेघर करना संविधान के खिलाफ है। वहीं, प्रशासन के इस अभियान के दौरान ऐसा कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है। प्रदर्शन के दौरान हि एक प्रतिनिधिमंडल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार से भेंट की और उन्हें ज्ञापन देकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। साथ ही उनसे हस्तक्षेप की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर आयुक्त ने प्रदर्शनकारियों के मध्य पहुंचकर आश्वासन दिया कि वे प्रभावितों के मामले में गम्भीरता से विचार करेंगे। सभी प्रभावितों पक्ष रखने का पूरा का पूरा मौका देंगे। उन्होंने कहा है कि यदि इस जद में कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति का कब्जा पाया गया, तो उसके खिलाफ भी नगर निगम कार्यवाही करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगे
-अतिक्रमण अभियान से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया जाए कि किसी भी साक्ष्य या दस्तावेज को वे लें। अगर किसी साक्ष्य से पता चलता है कि मकान वर्ष 2016 से पहले का है तो प्रभावित परिवार का नाम अतिक्रमण की सूची सूची से हटाया जाए।
-किसी को भी बेदखल करने से पहले कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जाए। साक्ष्य पेश करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय दिया जाए। हर व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए।
-बेदखल करने से पहले कानून और उच्चतम न्यायालय के फैसलों के अनुसार नियमितीकरण और पुनर्वास के लिए कदम उठाये जाएं।
-कार्यवाही पूरी तरह से निष्पक्ष हो और बेदखली की कार्रवाई बड़ी इमारतों एवं प्रतिष्ठानों से शुरू की जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदर्शन में शामिल संगठनों के लोग
प्रदर्शन में चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल, सीपीआईएम से राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश, बसपा से दिग्विजय सिंह, आरयूपी के नवनीत गुसाईं, सीआईटीयू से लेखराज, रामसिंह भण्डारी, एटक से अशोक शर्मा, एसएस रजवार, एसएफआई से हिमांशु चौहान, कर्मचारी महासंघ से एसएस नेगी के अलावा हरीश कुमार, अर्जुन रावत, विनोद कुमार, राजेन्द्र शर्मा, दयाकृष्ण पाठक, अर्जुन रावत भी शामिल थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।