video: केदारनाथ धाम में मंदिर के कपाट को लेकर गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों का प्रदर्शन
केदारनाथ धाम में मंदिर में अनावश्यक प्रवेश को लेकर उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड की व्यवस्थाओं के खिलाफ गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने जोरदार प्रदर्शन किया। साथ ही देवस्थानम बोर्ड से धामों के मंदिरों की व्यवस्था हटाने की मांग सरकार से की गई है। बोर्ड को तत्काल समाप्त करने की मांग भी की गई।
केदारनाथ धाम में मंदिर के कपाट को खुले हैं, लेकिन मंदिर में अनावश्यक रूप से लोगों को घुसने से रोकने के लिए मंदिर परिसर के चारों ओर लगाई गई ग्रिल के गेट को बंद किया जा रहा है। इसके लिए तर्क दिया गया है कि पिछले साल भी कोरोनाकाल में ऐसी व्यवस्था की गई थी। ताकि बार बार लोग प्रवेश न करे। इन दिनों चार धामों के कपाट तो खुले हैं, लेकिन उसमें आम लोगों की पहुंचने और पूजा की अनुमति नहीं है। सिर्फ रावल, तीर्थ पुरोहित आदि ही पूजा पाठ कर सकते हैं। पूजा के समय केदारनाथ में पुजारी मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। इसके बाद बाकी समय में मंदिर में अनावश्यक रूप से प्रवेश को रोकने के लिए मंदिर के बाहर गेट को बंद किया जा रहा है।
उत्तरकाशी के गंगोत्री में ये सूचना फैल गई कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए हैं। वहां पूजा के लिए तीर्थ पुरोहितों को भी प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। इस पर गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों ने जोरदार प्रदर्शन किया। चारों धामों में देवस्थानम बोर्ड को व्यवस्थाएं देने के सरकारी ऐलान के बावजूद अभी गंगोत्री में देवस्थानम बोर्ड का कार्यालय तक नहीं खुल पाया है। यहां पिछले साल पूरे यात्राकाल में भी तीर्थ पुरोहित हर दिन धरना देते रहे। साथ ही जब बोर्ड के अधिकारी गंगोत्री में कार्यालय खोलने जा रहे थे तो उन्हें तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते हर्षिल से वापस लौटना पड़ा था।
इसके बाद जिलाधिकारी के साथ तीर्थ पुरोहितों की बैठक हुई थी। इसमें जिलाधिकारी ने भी आश्वासन दिया था कि जब तक तीर्थ पुरोहित नहीं चाहेंगे, तब तक बोर्ड गंगोत्री की व्यवस्थाओं में दखल नहीं देगा। केदारनाथ में ताला लगाने के विरोध में आज गंगोत्री धाम में तीर्थ पुरोहितों की एक आपातकालीन बैठक हुई। इसके बाद देवस्थानम बोर्ड उत्तराखंड सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान नारेबाजी की गई और बोर्ड को समाप्त करने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों में श्री पांच मंदिर समिति सचिव दीपक सेमवाल, संयोजक हरिश सेमवाल, उपाध्यक्ष अरुण सेमवाल, राकेश सेमवाल, रमाकांत सेमवाल, रविकांत, कामेश्वर, द्रोणाचल सुमेश, नरेश, मयंक, सत्येंद्र सेमवाल आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।