बस्तियों को बचाने और अन्य मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदी के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के निर्माण के विरोध में विभिन्न संगठनों ने आज जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। इस रोड के निर्माण से मलिन बस्तियों के सैकड़ों घरों को तोड़ने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर भी राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजे गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज शुक्रवार 30 मई को बस्ती बचाओ आन्दोलन, सीआईटीयू, जनवादी महिला समिति से जुड़े लोगों ने भारी बारिश के दौरान जिला मुख्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। इसमें एलिवेटेड रोड के नाम पर बस्तियों को उजाड़ने का कड़ा विरोध किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई मांग
1. एनजीटी के आदेश के तहत अवैध घोषित मकानों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए।
2. प्रभावितों के लिए बाजार दर पर मुआवजा और उचित पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, जिसमें उनके रोजगार की क्षतिपूर्ति भी शामिल हो।
3. शासन, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि प्रभावितों के हितों की रक्षा के लिए न्यायोचित कार्रवाई करें।
4. प्रभावित नागरिकों की समिति बनाकर सभी मामलों में न्यायसंगत कार्रवाई की जाए।
5. सरकार अपने वादे के अनुसार बस्तीवासियों को मालिकाना हक प्रदान करे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

1- चार श्रम संहिताओं को वापस ली जाए।
2- मोटर यान अधिनियम वापस लिया जाए ।
3- न्यूनतम वेतन 26000 रुपये तय किया जाए।
4- पुरानी पेंशन की बहाली हो।
5- बढ़ती महंगाई पर रोक लगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे प्रदर्शन में शामिल
प्रदर्शन का नेतृत्व बस्ती बचाओ आंदोलन के संयोजक अनन्त आकाश, सीआईटीयू के जिला महामंत्री लेखराज, जनवादी महिला समिति की जिलाध्यक्ष नुरैशा अंसारी, वरिष्ठ समाजसेवी मौहम्मद अल्ताफ ने संयुक्त रूप से किया। प्रदर्शन में नरेन्द्र सिंह, प्रेंमा गढ़िया, विप्लव अनन्त, बिन्दा मिश्रा, राजेन्द्र शर्मा, रविंद्र नौडियाल, हरीश चन्द्र, शबनम, सुरेशी नेगी, यूएन बलूनी, लोकेश, रविंद्र नौडियाल, सुनिता चौहान, सरोज, कलावती, अमित कुमार, दिलीप सिंह, अनिल कुमार, अश्विनी कुमार, उमा,राजबीर, सुनील कुमार, सहदेव आदि शामिल थे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
Jab basti wale vot dete hai too fir cm basti walo ke liye kuch q nhi sochte hai or kabhi kuch bolte bhi nhi too fir basti walo se vot q lete hai