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March 12, 2025

उत्तराखंड के महाविद्यालयों में यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अंतर्गत छूट गए पदोन्नति प्रकरणों का हो निस्तारण, सीएम को भेजा पत्र

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के प्रादेशिक कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह ने उत्तराखंड के महाविद्यालयों में यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत छूट गए पदोन्नति प्रकरणों में समयावधि विस्तारण का सरकार से अनुरोध किया है।

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के प्रादेशिक कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत सिंह ने उत्तराखंड के महाविद्यालयों में यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत छूट गए पदोन्नति प्रकरणों में समयावधि विस्तारण का सरकार से अनुरोध किया है। इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा दीपेंद्र चौधरी को पत्र लिखकर विस्तार से शिक्षकों की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन-2010, तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय (वर्तमान शिक्षा मंत्रालय), भारत सरकार की ओर से 30 जून, 2010 को संपूर्ण भारत के समस्त राज्यों में (1 जनवरी 2006 से प्रभावी) लागू करने के लिए आदेश जारी किया गया। अन्य बिंदुओं के साथ इसके अंतर्गत महाविद्यालयो व विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, प्राध्यापकों के पदोन्नति की समुचित व्यवस्था की गयी।
उन्होंने बताया कि उक्त यूजीसी रेगुलेशन-2010 को उत्तराखंड शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने 3 वर्ष बाद 28 मई, 2013 को अंगीकार कर प्रदेश में उच्च शिक्षा से आच्छादित शिक्षकों के लिए लागू किया। 18 जुलाई, 2018 को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी रेगुलेशन-2018 को पूरे देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के प्रमोशन के नये व संशोधित प्राविधानों के साथ लागू कर दिया। ऐसे शिक्षकों जिनके प्रमोशन यूजीसी रेगुलेशन-2010 की अवधि 1 जनवरी 2006 से 17 जुलाई 2018 में किसी भी कारण से नहीं हो पाए थे, उन्हें पदोन्नति लाभ देने के लिए, 3 वर्ष की विशेष अवधि, नए यूजीसी रेगुलेशन-2018 के अंतर्गत प्रदान की गई। ऐसे समस्त लंबित पदोन्नति प्रकरणों को यूजीसी रेगुलेशन-2010 के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत 17 जुलाई, 2021 तक पूर्ण करने का अवसर भी प्रदान किया गया।
उन्होंने बताया कि सन 2020 के मार्च माह से कोविड-19 के कारण 8 माह की अवधि में पूर्ण लॉकडाउन रहा तथा पदोन्नतियां नहीं हो सकीं। उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड, हल्द्वानी ने भी अपने 24 मार्च, 2021 के आदेश में यूजीसी रेगुलेशन-2010 से पदोन्नति मामलों पर रोक लगा दी, जो कि 2 जुलाई 2021 के उच्च न्यायालय, उत्तराखंड, नैनीताल के आदेशों के पश्चात भी 29 जुलाई, 2021 को उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से पदोन्नति पर लगी रोक हटाई गई।
उन्होंने बताया कि इस बीच यूजीसी रेगुलेशन-2018 में मिली 3 वर्ष की अनुमति सीमा की अवधि 17 जुलाई, 2021 भी समाप्त हो गई। जब तक यूजीसी रेगुलेशन-2010 से आच्छादित पदोन्नति प्रकरणों पर चयन समितियों की ओर से विचार कर संस्तुत किया जाना संभव था।
इस तरह की उपजी समस्याएं
-01 जुलाई 2010 से 27 जुलाई 2013 तक लगभग 3 वर्ष की अवधि में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा से आच्छादित शिक्षण संस्थानों में अध्यापन व शोधरत शिक्षकों को यूजीसी रेगुलेशन-2010 से पदोन्नति का लाभ नहीं मिला।
-कोविड-19 की प्रथम लहर 22 मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 कुल 7 माह की अवधि में शिक्षकों की पदोन्नति प्रकरणों पर कोई कार्य यूजीसी रेगुलेशन-2010 से नहीं हो सका।
-24 मार्च, 2021 से 29 जुलाई 2021 तक 4 माह में उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखडं द्वारा शिक्षकों की पदोन्नति मामलों पर रोक लगाने के कारण प्रमोशन मामलों पर विचार ही संभव नहीं हो सका तथा इस अवधि में भारत सरकार की ओर से यूजीसी रेगुलेशन -2018 के अंतर्गत यूजीसी रेगुलेशन-2010 के लंबित प्रकरणों का निपटारा करने की अवधि भी 17 जुलाई, 2021 को समाप्त हो गई।
-उत्तराखंड शासन के आदेश संख्या 1424 दिनांक 6 सितंबर 2019 के अनुपालन में निदेशालय उच्च शिक्षा द्वारा पत्रांक 6621 दिनांक 27 नवंबर 2020 को प्रथम बार वरिष्ठता चयन और एसोसिएट प्रोफेसर पद नाम दिए जाने के लिए विकल्प पत्र तथा दिशानिर्देशों को महाविद्यालयों को सूचित किया गया था। इसके पश्चात पत्रांक 6965 दिनांक 10 दिसंबर 2020 को एक आदेश के माध्यम से सूचित किया गया कि उपरोक्त दिशा निर्देश प्रोफेसर पदनाम की पदोन्नति के लिए लागू नहीं होंगे।
-इसके पश्चात 24 दिसंबर 2020 को प्रोफेसर पद नाम हेतु विकल्प पत्र तथा दिशा निर्देश दिए गए थे तथा महाविद्यालयों से इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने का निर्देश भी निर्गत किया गया जोकि पुनः 24 मार्च 2021 को रोक दिया गया था।
अतः कुल 4 वर्ष की अवधि का ऐसा समय रहा, जबकि उत्तराखंड के राजकीय महाविद्यालयों, राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों सहित प्रादेशिक विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को यूजीसी रेगुलेशन-2010 की 1 जनवरी, 2006 से 17 जुलाई, 2018 तक की अवधि के लंबित पदोनति प्रकरणों के निस्तारण प्रक्रिया पूर्ण करने का अवसर ही नहीं मिल सका तथा वे सभी अपने पद नाम व वित्तीय लाभों से वंचित रह गए ।
ये किया अनुरोध
डॉ. प्रशांत सिंह ने अनुरोध किया कि उत्तराखडं के समस्त उच्च शिक्षण सस्ंथानों (राजकीय महाविद्यालय, राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों तथा प्रादेशिक विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को उनके 01 जनवरी, 2006 से लंबित पदोन्नति प्रकरणों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए व्यापक जनहित में यूजीसी रेगुलेशन-2010 की अवधि से आच्छादित मामलों के लिए पदोन्नति अवधि, प्रदेश सरकार/शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदेश निर्गत की तिथि से 1 वर्ष की अवधि के लिए विस्तारित करें।
होंगे शिक्षक लाभांवित, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पूरा होगा विजन
उन्होंने कहा कि इस दूरगामी निर्णय से पूरे प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों के बड़ी संख्या में शिक्षक लाभान्वित होंगे तथा प्रदेश सरकार को सभी मामलों में भरपूर सहायता प्रदान करेंगे। इसके साथ ही प्रदेश में गुणवत्ता युक्त शिक्षण व शोधकार्य भी दृष्टिगोचर होंगे। साथ ही भारत सरकार का उत्तराखंड में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सही अर्थों में लागू करने का विजन भी पूरा हो सकेगा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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