दिल्ली हाईकोर्टः पति या पत्नी का सैक्स से मना करना मानसिक क्रूरता, जब जानबूझकर…
पति पत्नी के विवाद को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि ‘पति या पत्नी द्वारा अपने साथी के साथ सेक्स करने से मना कर देना मानसिक क्रूरता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार 31 अक्टूबर 2023 को तलाक के एक मामले में ये टिप्पणी की। पति अपनी पत्नी से यह कहते हुए तलाक मांग रहा था कि वह उसको घर जमाई बना कर रखना चाहती है। वह उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने से मना कर देती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे में अदालत ने कहा, ‘पति या पत्नी द्वारा अपने साथी के साथ सेक्स करने से मना कर देना मानसिक क्रूरता है। हालांकि, अदालत ने आगे कहा कि जीवनसाथी का शारीरिक संबंध बनाने से इंकार कर देना मानिसक क्रूरता तो है, लेकिन इसे क्रूरता तभी माना जा सकता है, जब एक साथी ने लंबे समय तक जानबूझकर ऐसा किया है। इस मामले में ऐसा नहीं है। लिहाजा अदालत ने पति के पक्ष में आये निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उसने दोनों के तलाक को मंजूरी दी थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अदालत ने कहा कि ये बहुत ही संवेदनशील मामले हैं। अदालतों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। विवाहित जोड़ों के बीच मामूली मनमुटाव और विश्वास की कमी को मानसिक क्रूरता करार नहीं दिया जा सकता है। पति ने पत्नी द्वारा मानसिक क्रूरता के कारण तलाक मांगा और आरोप लगाया कि उसे ससुराल में उसके साथ रहने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह चाहती थी कि पति उसके साथ उसके मायके में ‘घर जमाई’ के रूप में रहे। दोनों की शादी 1996 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई और 1998 में दंपती की एक बच्ची हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्नी की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यद्यपि यौन संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता का एक रूप माना जा सकता है, लेकिन जब यह लगातार, जानबूझकर और काफी समय तक हो। पीठ ने कहा कि अदालत को ऐसे संवेदनशील और नाजुक मुद्दे से निपटने में ‘अति सावधानी’ बरतने की जरूरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अदालत ने कहा कि इस तरह के आरोप केवल अस्पष्ट बयानों के आधार पर साबित नहीं किए जा सकते। खासकर तब जब शादी विधिवत संपन्न हुई हो। पीठ ने पाया कि पति अपने ऊपर किसी भी मानसिक क्रूरता को साबित करने में विफल रहा है और वर्तमान मामला वैवाहिक बंधन में केवल सामान्य मनमुटाव का मामला है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।