ट्रांसफर और पोस्टिंग मामले में फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार
दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में संविधान पीठ के फैसले के अगले ही दिन केजरीवाल सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने सर्विसेज के सचिव के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया गया है और कहा गया कि केंद्र, सचिव का ट्रांसफर नहीं कर रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो अगले हफ्ते बेंच का गठन करेंगे। दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये एक तरीके से अवमानना के समान है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच की गठन किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बता दें कि एलजी बनाम दिल्ली सरकार के अधिकार के संबंध में आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है। उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि नौकरशाहों पर एक निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का विशेष प्रकार का दर्जा है। उन्होंने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के उस फैसले से सहमति नहीं जतायी कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा कि केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के प्रतिकूल होगा। दिल्ली अन्य राज्यों की तरह ही है और उसकी भी एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उच्चतम न्यायालय ने 105 पन्ने के अपने आदेश में कहा कि सूची-2 के विशेष उल्लेखों (लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि) को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) की विधानसभा के पास सूची-2 और सूची-3 का नियंत्रण है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सहकारी संघवाद की भावना के मद्देनजर केंद्र को संविधान द्वारा तय सीमाओं के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीठ ने कहा कि एक विशेष प्रकार’ का संघीय ढांचा होने के नाते एनसीटीडी को संविधान द्वारा इसे प्रदत्त कार्यक्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र और एनसीटीडी एक अद्वितीय संघीय संबंध साझा करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि एनसीटीडी को संघ की इकाई में केवल इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि यह राज्य नहीं है। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ के अगुआई वाली संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।