रक्षा मंत्रालय ने दून के विवादित स्कूल सहित कुल चार स्कूलों को सैनिक स्कूल बनाने की मान्यता की रद्द
केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने देहरादून के विवादित स्कूल को सैनिक स्कूल बनाने की मान्यता निरस्त कर दी है। इसके साथ ही देश के तीन अन्य स्कूलों की भी मान्यता भी रद्द कर दी है।
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केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने मार्च माह में देश के 21 निजी स्कूलों को पीपीपी मोड़ पर सैनिक स्कूल बनाने की मान्यता दी थी। इनमें 10 को मान्यता दे दी गई। वहीं, 11 की मान्यता को होल्ड रखा हुआ है। इनमें दून के विवादित भाऊवाला स्थित जीआरडी वर्ल्ड स्कूल को भी रक्षा मंत्रालय ने मान्यता दे दी थी। विवादित स्कूल को सैनिक स्कूल की मान्यता देने पर शिक्षाविदों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाये थे।
इस दौरान कहा गया कि भाऊवाला जीआरडी स्कूल में 2018 में एक नाबालिग छात्रा से गैंगरेप के बाद संचालकों, स्टाफ और अन्य को कोर्ट से सजा और जेल हुई थी। इस पर स्कूल की मान्यता तक सीबीएसई ने रद्द कर दी थी। इस पूरे प्रकरण में आरोपी चार छात्रों समेत स्कूल निदेशक, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, उनकी पत्नी और तत्कालीन प्रिंसिपल को फरवरी 2020 में सजा भी हो चुकी है।
पिछले साल सीबीएसई ने दोबारा इस स्कूल की मान्यता बहाल कर दी। अब वहां दोबारा स्कूल सुचारु रूप से चल रहा है। इस प्रकरण को लेकर स्कूल काफी विवादित था। सैनिक स्कूल के रूप में मान्यता मिलने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों इस विवादित स्कूल को ही सैनिक स्कूल चलाने की मान्यता दी गई। वहीं, इसके लिए बड़ी संख्या में आवेदन किए गए थे।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड के जीआरडी स्कूल समेत कुल 4 स्कूलों की सैनिक स्कूल बनाने की मान्यता रद कर दी है। अब मंत्रालय इन स्कूलों के बाद आवेदन करने वाले ग्रीन और ब्रॉउन फील्ड के स्कूलों को मान्यता मिलेगी। इसके लिए जल्द नए आदेश होंगे।
कक्षा छह में मिलता है प्रवेश
अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा में सफल रहने वाले छात्र-छात्राओं को सैनिक स्कूलों में कक्षा छह में प्रवेश मिलता है। इस परीक्षा से 40 प्रतिशत छात्रों का चयन किया जाएगा। जबकि 60 प्रतिशत छात्र संबंधित स्कूल के ही रहेंगे, यदि वह सैनिक स्कूल सोसायटी पैटर्न में प्रवेश लेना चाहते हैं। आगामी मई के पहले सप्ताह से इन नए सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होगा।
राज्य में था एक मात्र सैनिक स्कूल घोड़ाखाल
बता दें, राज्य में इससे पहले एक मात्र सैनिक स्कूल घोड़ाखाल था। जिसका पूरा संचालन रक्षा मंत्रालय करता है। हालांकि रुद्रप्रयाग जिले में भी सैनिक स्कूल खोलने की कवायद पिछले कई साल से चल रही है। इसको स्वीकृति भी मिल गई थी, पर कुछ कारणों से मामला अब भी अधर में लटका हुआ है।
अधिकांश छात्रों का चयन होता एनडीए के लिए
12वीं उत्तीर्ण करने वाले अधिकांश छात्रों का चयन एनडीए के लिए होता है। जिसके बाद वह सेना, नौसेना व वायुसेना में बतौर अधिकारी सैन्य पारी की शुरुआत करते हैं। आरआइएमसी की तरह सैनिक स्कूल में भी अपने बच्चों का दाखिला करने के लिए अभिभावकों की दिली इच्छा रहती है। लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा और सीमित सीट के चलते चुनिंदा छात्रों का ही चयन हो पाता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।