भारत में बनी कोरोना की नई स्वदेशी वैक्सीन, जानिए कब से होगा इसका इस्तेमाल

भारत में स्वदेशी वैक्सीन बायोलॉजिकल ई-वैक्सीन अगस्त माह से उपलब्ध होगी। यह जानकारी आज यहां स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई। ये वैक्सीन केंद्र सरकार के मदद से बन रही है। बायोलॉजिकल ई-वैक्सीन का फेज टू और ट्रायल खत्म हो चुका है। जल्द ही यह फेज थ्री में ट्रायल में जाएंगी। देश में इस समय दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का टीका लोगों को लगाया जा रहा है।
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसका उत्पादन कर रहा है। कोवैक्सीन को आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक ने विकसित किया है। कोवैक्सीन पूरी तरह से भारत में विकसित वैक्सीन है। केंद्र सरकार ने हाल ही में रूस की वैक्सीन स्पूतनिक V के प्रयोग को भी भारत में आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। वहीं, बायोलॉजिकल ई-वैक्सीन इस्तेमाल के लिए अगस्त माह तक उपलब्ध हो जाएगी।
गौरतलब है देश में कोरोना के मामलों में आए जबर्दस्त इजाफे के बीच टीकाकरण का तीसरा चरण एक मई से प्रारंभ होगा। इसमें 18 और उसके अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाया जाएगा। बुधवार को आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में बताया गया कि वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होने के बाद से देश में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 1.1 करोड़ लोगों ने लिया है। इसमे पहली डोज लेने के बाद 4,208 और दूसरी डोज लेने के बाद 695 लोग पॉजिटिव हुए हैं।
वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड को 11.6 करोड़ लोगों को दिया जा चुका है। यह वैक्सीन लगवाने वालों में पहली डोज के बाद 17,145 लोग और दूसरी डोज के बाद 5,014 लोग पॉजिटिव हुए हैं। अगर थोड़ा और भीतर जाएं तो, कोवैक्सीन की पहली डोज 93,56,436 लोगों ने ली, जिसमें से 4,208 यानी कि 0.04 फीसदी लोग संक्रमित हुए। वहीं इस वैक्सीन की दूसरी डोज 17,37,178 लोगों ने ली। उनमें से 695 लोग यानी कि इनमें से 0.04 फीसदी लोग पॉजिटिव मिले।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
अच्छी खबर जो वैक्सीन की उपयोगिता पर सही ढंग से रोशनी डालती है। अधिकतर लोगों के मन मे सवाल उठ रहे थे कि वैक्सीन की दो शॉट लगवाने के बावजूद भी लोग संक्रमित कैसे हो रहे हैं। खबर से उनकी जिज्ञासा शांत हो जाएगी क्योंकि इससे पता चलता है कि बहुत कम लोगों पर ही वैक्सीन का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता।