रैट माइनिंग के श्रमिकों को सम्मानित करेगी कांग्रेस, टनल हादसे को कांग्रेस नेताओं ने बताया सरकार की विफलता
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आज संयुक्त प्रेस वार्ता कर सिलक्यारा टनल हादसे के लिए सरकार की विफलता को जिम्मेदार बताया। साथ ही सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले रैट माइनिंग के श्रमिकों को सम्मानित करने का निर्णय किया है। प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सिल्क्यारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने वाले रैट माइनिंग के श्रमिकों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी अपने शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों के अनुरूप अपने नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सम्मानित विधायकों से भी योगदान के रूप में एक माह के वेतन देने का अनुरोध किया है। सभी विधायकों ने पार्टी के इस निर्णय का स्वागत करते हुए अपनी सहर्ष स्वीकृति प्रदान की है। उसके लिए मैं सभी का आभार प्रकट करता हूं। तथा सम्मानित विधायकों एवं वरिष्ठ नेतागणों के सहयोग से प्राप्त धनराशि रैट माइनिंग के श्रमिकों को उपहार के रूप मे देने की घोषणा करता हूं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने रैट माइंनिंग के माध्यम से श्रमिकों की जान बचाने का सुझाव देने वाले वरूण अधिकारी का भी धन्यवाद किया। उसके बहुमूल्य सुझाव से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जान बच पाई। उन्होनें यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रत्येक अवसर पर शहीदों की शहादत का श्रेय लेती आयी है। उसने प्रत्येक मौके पर उत्सव मनाने का काम किया है। चाहे पुलवामा की आतंकी घटना हो, या सिलक्यारा सुरंग की। भाजपा ने इन घटनाओं को इंवेन्ट बनाने का काम किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होनें कहा कि भाजपा सरकारें सिलक्यारा टनल मिशन की सफलता का श्रेय ले रही हैं तो 17 दिन तक 41 मजदूरों के सुरंग में फसें होने की जिम्मेदारी से भी पल्ला नही झाड़ सकती है। उन्होंने कहा कि रैणी, जोशीमठ एवं सिल्क्यारा की घटनाएं भूगर्भ शास्त्रियों एवं वैज्ञानिकों की राय की अनदेखी करने का नतीजा हैं। यदि सरकार ने रैणी एवं जोशीमठ की घटनाओं से सबक लिया होता तो सिल्क्यारा की आपदा से बचा जा सकता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में भविष्य की सभी परियोजनाओं को रोक कर उन्हें पेशेवर पारिस्थितिकी जांच के अंतर्गत लाना चाहिए। रावत ने सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि हमें सुरंग के ढहने से उठे कुछ बड़े सवालों पर विचार करना चाहिए। ताकि भविष्य में इस प्रकार के हादसों से बचा जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सिल्क्यारा घटना ने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की संवेदनशीलता और जटिलता को पूरी स्पष्टता के साथ हमारे सामने ला दिया है। कांग्रेस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष सहित सभी सम्मानित विधायको द्वारा अपने एक माह का वेतन इस आपदा की घड़ी में संकट मोचक बनने वाली रैट माइनिंग की टीम को देने की घोषणा पर रावत ने कांग्रेस के सीएलपी नेता एवं विधायकों का धन्यवाद किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सिल्क्यारा सुरंग हादसे की घटना ने पश्चिमी हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की नाजुकता और जटिलता को पूरी स्पष्टता के साथ हमारे सामने ला दिया है। सिल्क्यारा घटना से इस क्षेत्र में सिविल निर्माण और अन्य परियोजनाओं की योजना डिजाइन और क्रियान्वयन के मामले में पर्यावरण मूल्यांकन प्रक्रिया की विफलता भी सामने आई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सुरंग परियोजना चारधाम परियोजना का हिस्सा है। निर्माण कार्यो को इस तरह से आवंटित किया गया ताकि पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन से पूरी तरह बचा जा सके परन्तु सुरंग पर व्यापक रूप से स्वीकृत सुरक्षा सुविधाए नही होने की रिपोर्ट सामने आ रही थी इसके बावजूद श्रमिकों की जान से खिलवाड़ किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में निर्माणाधीन सभी परियोजनाओं का गहन ऑडिट किया जाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि सिल्क्यारा घटना निर्माणदायी कंपनी की घोर सुरक्षा लापरवाही एवं अनुभवहीनता का नतीजा रहा है परन्तु सरकार घटना के लिए जिम्मेदार निर्माणदायी कम्पनी को बचाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ज्ञात होना चाहिए कि चमोली हादसे के लिए जिम्मेदार यही कम्पनी थी जिसमें 15 श्रमिकों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से आशा करते हैं कि वे उत्तराखण्डियत का सम्मान करेंगे तथा उस कंपनी के खिलाफ कार्यवाही का साहस करेंगे चाहे उस कंपनी के आका कितने ही बड़े पद पर क्यों न हों। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने सभी विधायकों एवं पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने सुरंग में फंसे श्रमिकों की जान बचाने वाले रैट माइनिंग के जांबाजों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हमने रैणी, वरूणावत जैसी आपदाएं झेली हैं हमें इन घटनाओं से सबक लेना है कि राज्य का विकास हो विनाश नही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल एवं पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने पत्रकार वार्ता में यह भी घोषणा की कि रैट माइनिंग श्रमिकों को सम्मानित करने के लिए जितनी धनराशि पार्टी के सम्मानित विधायकगण उपहार के रूप में देंगे, उतनी ही धनराशि वे भी अपनी ओर से पार्टी के माननीय प्रदेश अध्यक्ष जी के माध्यम से प्रदान करेगें। पत्रकार वार्ता में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापडी, विधायक रवि बहादुर, विधायक फुरकान अहमद ने जूम के माध्यम से प्रतिभाग किया। पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी, शीशपाल सिंह बिष्ट एवं सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह भी उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान शुरु किया गया। टनल के अंदर फंसने वाले मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के थे। चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है। 24 नवंबर से मशीन से खुदाई ठप हो गई थी। इसके बाद हाथ से खुदाई की गई और मंगलवार 28 नवंबर की रात रेस्क्यू के 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया। हाथ से खुदाई को ही रैट माइनिंग कहा जाता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।