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December 4, 2024

इलेक्टोरल बॉन्ड सुप्रीम कोर्ट से रद्द होने पर फ्रंट फुट पर बैटिंग करने उतरी कांग्रेस, बीजेपी की ईडी से जांच की मांग

भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर हो गई। कांग्रेस इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर बैटिंग करने उतर गई। साथ ही इसे मनि लॉंड्रिंग से जोड़ते हुए मांग की जा रही है कि ईडी से बीजेपी को मिले चंदे की जांच कराई जाए। इस संबंध में उत्तराखंड में देहरादून महानगर कांग्रेस ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गौरतलब है कि गुरुवार 15 फरवरी को देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। चुनावी बॉन्ड के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 15 फरवरी 2024 फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगा दी। साथ ही इसे रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है। इतना ही नहीं उच्चतम अदालत ने एसबीआई से 6 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए कहा है। चुनावी बॉंड स्कीम से सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी को ही मिल रहा था। इसकी पारदर्शिता को लेकर विपक्षी दल आवाज उठा रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डीएम कार्यालय पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ता
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने देहरादून महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी की अध्यक्षता में जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा। इसमें मांग की गई है कि मोदी सरकार के चुनावी बांड घोटाले की जांच ईडी से कराई जाय। ताकि पता चल सके कि किस पूंजीपति ने बीजेपी को कितना चंदा दिया और उसे बीजेपी ने किस तरह के लाभ पहुंचाए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस योजना को मनि लांड्रिंग को बढ़ावा देने वाली योजना बताया। कांग्रेस ने कहा कि जहां मामूली सी रकम में किसी व्यक्ति के घर ईडी पहुंच जाती है, वहीं चुनावी बांड के जरिये बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। यदि ईडी से जांच होती है तो ये भी पता चल सकता है कि जिन उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया गया, क्या वे भी कर्ज माफी का पैसा बीजेपी को दे रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर डॉ. जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना देश की जनता और लोकतांत्रिक व्यवस्था से एक बहुत बड़ा धोखा था। इससे सरकार को तो बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी होती थी, पर आम लोगों को ये पता नहीं होता था कि कौन 2 बॉन्ड खरीद रहा है। किस राजनीतिक दल को दे रहा है। उदाहरण के लिए 2018 के 95 प्रतिशत बॉन्ड केवल भाजपा के पास ही गए। भाजपा दरअसल पूरी राजनीतिक व्यवस्था पर एकाधिकार करना चाहती है। ताकि देश मे भाजपा के अलावा कोई और दल न रहे। यह सोच लोकतंत्र विरोधी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गोगी ने कहा कि वर्ष 2017 में जब चुनावी बांड योजना को वित्त विधेयक के रूप में पेश किया गया था, तो तब भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसकी अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और हानिकारक प्रकृति की स्पष्ट रूप से निंदा करने वाली पहली पार्टी थी। राहुल गांधी ने भी इसे लेकर घोटाले की आशंका जता दी थी। यह दरअसल मोदी सरकार की काला धन रूपांतरण की योजना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनावी बांड योजना के मामले में रिजर्व बैंक की आशंका को दरकिनार किया। इस मामले में चुनाव आयोग को भी गुमराह किया गया। यही नहीं भ्रष्टाचार की नीयत से चुनावी बॉन्ड में अनुच्छेद 19 (1) (क) तथा सूचना का अधिकार अधिनियम की भी उपेक्षा की गई। कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की इस काला धन रूपांतरण योजना को असंवैधानिक मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है। साथ ही मांग करती है कि मोदी सरकार के चुनावी बांड घोटाले की जांच ईडी से कराई जाय। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल मुख्य रूप से उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मनीष नागपाल, आदर्श सूद, अर्जुन पासी, जमाल अहमद, एस पी थापा, सूरज क्षेत्री, विरेंद्र पवार आदि शामिल थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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