सीटू और किसान सभा का सम्मेलन, पांच अप्रैल को राज्य से हजारों की संख्या में दिल्ली जाएंगे मजदूर और किसान
सीटू और किसान सभा का एक दिवसीय राज्य स्तरीय कन्वेंशन नगर निगम हॉल देहरादून में आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रदेशभर से आए मजदूर और किसानों ने पांच अप्रैल को केंद्र सरकार के विरोध में दिल्ली में आयोजित रैली में भाग लेने का संकल्प लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सीटू के राष्ट्रीय सचिव के उमेश व किसान सभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी मुख्य वक्ता थे। सीटू के राष्ट्रीय सचिव के उमेश ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर श्रम संहिता बनाकर संसद में वर्ष 2020 ने उस समय कानून पास किया, जब सारी दुनिया कोरोना से पीड़ित थी। यह श्रम सहिंता पूंजीपति के हित में है और आम श्रमिकों को गुलामी की और धकेलने वाली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हालांकि ट्रेड यूनियन आंदोलन की वजह से केंद्र सरकार इन संस्थाओं को लागू नहीं कर पाई है, किंतु उत्तराखंड राज्य में इसके प्रावधानों को पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपने दो दोस्तों की वजह से भारत के नागरिकों को के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहित कर ऑर्डनेंस फैक्ट्रीयों को निगमीकरण कर निजी हाथों में सौंपने की कवायद शुरू हो गई है। इसका उदाहरण देहरादून में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के अंदर सैकड़ों मजदूरों को काम से हाथ धोना पड़ा। इनकी लड़ाई सीटू आज भी लड़ रही है। इसलिए इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए सीटू और किसान सभा ने तय किया है कि पांच अप्रैल को लाखों की संख्या में दिल्ली में रैली कर इस सरकार को घेरने का काम करेंगे। इसमें उत्तराखंड से भी हजारों की संख्या में मजदूर व किसान हिस्सेदारी करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर किसान सभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पुष्पेंद्र त्यागी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्या से ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिकता का नंगा नाच कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि के काले कानून ला कर किसानों की जमीनें हड़पने का काम कर रही थी। उन्होंने कृषि कानूनों को किसानों का डेथ वारंट करार दिया, जिसके खिलाफ किसानो ने आंदोलन शुरू किया। इसे मजदूरो ने भी समर्थन किया और किसान मजदूर एकता को बल मिला। इससे मोदी सरकार को घुटनों पर बैठने पर मजबूर होना पड़ा, जो कि किसानों के संघर्ष की शानदार जीत हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सीटू के राज्य सचिव लेखराज ने उत्तराखंड में बेरोजगारो के आंदोलन पर लाठीचार्ज के दोषी पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को दंडित करने व भर्ती में धांधली की जांच हाई कोर्ट के जज की निगरानी में सीबीआई से करने का प्रस्ताव रखे। इसे पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष व किसान सभा के प्रांतीय कोषाध्यक्ष शिव प्रसाद देवली ने समर्थन करते हुए कहा कि उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों की धांधली में बड़े अधिकारी व भाजपा नेताओ की संलिप्ता की गहन जांच होनी चाहिए। प्रस्ताव को सर्वसहमति से पास किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन की अध्यक्षता किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवान और सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नेगी ने संयुक्त रूप से की। संचालन सीटू के प्रांतीय महामंत्री महेंद्र जखमोला और प्रांतीय महामंत्री गंगाधर नौटियाल ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर किसान सभा के जिला महामंत्री कमरुद्दीन, जिला अध्यक्ष दलजीत सिंह, सीटू के जिला अध्यक्ष कृष्ण गुनियाल, उपाध्यक्ष दीपक शर्मा, कोषाध्यक्ष रविंद्र नौडियाल, अनंत आकाश, राजेन्द्र पुरोहित, एसएफआई के प्रांतीय अध्यक्ष नितिन मलेठा, प्रांतीय महामंत्री हिमांशु चौहान, सीटू के प्रांतीय उपाध्यक्ष मदन मिश्रा, पीडी बलूनी, पुरुषोत्तम बडोनी, भोपाल सिंह रावत, चित्रा, शिवा दुबे, सुनीता चौहान, मोनिका, विमला कौशल, लोकेश, मीनाक्षी, कलावती चंदोला, संजू कुमार, रामप्रकाश गुप्ता, रोशनी, माला गुरुंग, प्रदीप उनियाल, जनवादी महिला समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष इंदु नौडियाल, महामन्त्री दमयंती नेगी, नुरेशा अंसारी, डीएवी के छात्र संघ उपाध्यक्ष सोनाली, देवानंद नौटियाल, अमन कंडारी, कुसुम नौडियाल, राकेश धरनी, माम चंद, राम सिंह भंडारी, अमर बहादुर शाही, गगन गर्ग, अनिल गोस्वामी, तजबर रावत, जगदीश, अशोक शर्मा, नंदलाल शर्मा, दिनेश नौटियाल आदि मजदूर किसान उपस्थित थे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




