महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं को सीएम तीरथ ने दी छूट, तो केंद्र ने जताई चिंता, व्यवस्थाओं को बताया अपर्याप्त
केंद्र ने प्रदेश सरकार की कुंभ की व्यवस्थाओं को अपर्याप्त बताया है। कारण ये है कि उत्तराखंड में कोरोना फिर से सिर उठाने लगा है।

इस बार महाकुंभ मेला एक अप्रैल से तीस अप्रैल को हरिद्वार में आयोजित हो रहा है। कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट साथ लाने की अनिवार्यता में छूट देने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसके उलट केंद्र ने प्रदेश सरकार की कुंभ की व्यवस्थाओं को अपर्याप्त बताया है। कारण ये है कि उत्तराखंड में कोरोना फिर से सिर उठाने लगा है। संक्रमितों के आंकड़ों में प्रदेश में हरिद्वार जिले का नंबर दूसरा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश को पत्र लिखकर कुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण के प्रसार की आशंका जताते हुए इसकी रोकथाम को उचित कदम उठाने को कहा है। हालांकि, प्रदेश सरकार कुंभ को लेकर एसओपी जारी कर चुकी है, जिसमें कुंभ मेला क्षेत्र में आने से 72 घंटे पहले तक की अवधि की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट और रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता की बात कही गई है। केंद्र की गाइडलाइन में भी यही बिंदु शामिल हैं।
प्रदेश में कुंभ के आयोजन को लेकर अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है लेकिन इसके लिए 26 फरवरी को एसओपी जारी की जा चुकी है। एसओपी में कुंभ, की प्रस्तावित तिथि एक अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच बताई गई है।
कुंभ मेले को लेकर कुछ समय पहले केंद्र से नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम ने हरिद्वार क्षेत्र का दौरा कर एक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के आधार पर अब केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने उत्तराखंड आई एनसीडीसी की टीम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि हरिद्वार में प्रतिदिन 10 से 20 श्रद्धालु और इतनी ही संख्या में स्थानीय व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो रही है। अभी देश के 12 राज्यों में कोरोना संक्रमण की दर बढ़ी है। कुंभ के दौरान इन राज्यों से भी श्रद्धालु स्नान के लिए आएंगे। इस स्थिति में कुंभ के शाही स्नानों के दौरान कोरोना संक्रमण के मामलों की दर बढ़ने की आशंका जताई गई है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार द्वारा हरिद्वार में प्रतिदिन किए जा रहे 50 हजार एंटीजन टेस्ट और पांच हजार आरटीपीसीआर टेस्ट बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते कम हैं। इसे आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
पत्र में कुछ सुझाव भी दिए हैं। इनमें केंद्र के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह अनुपालन कराने, स्थानीय व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण के लक्षणों पर स्वयं आगे आकर जानकारी देने के लिए जागरूकता पैदा करने, विभिन्न स्थानों पर नजर रखते हुए श्वास संबंधी मामलों के सामने आने पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने और मामलों के बढ़ने पर इनकी जीनोम सिक्वेंसिंग कराना शामिल है।
केंद्र के पत्र के बाद प्रदेश सरकार ने इसमें उठाए गए बिंदुओं और सुझावों पर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार केंद्र की गाइडलाइन का अनुपालन करा रही है। सरकार की मंशा केवल इतनी है कि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो। जहां तक आरटीपीसीआर टेस्ट का सवाल है, तो व्यवहारिकता के आधार पर जांच कराई जाएगी। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन का कहना है कि कुंभ के लिए प्रदेश सरकार ने एसओपी जारी की है। इसमें केंद्र के सभी सुझावों को शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि पद संभालने के तुरंत बाद उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 13 मार्च को अधिकारियों की बैठक में कहा था कि कुंभ में आने के लिए कोरोना की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जरूरी नहीं है। उन्होंने इसके पक्ष में तर्क दिया कि कुंभ 12 साल बाद आता है। इससे देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। कुंभ में आने वाले श्रद्धालु बिना किसी असुविधा और रोकटोक के यहां आएं और सुखद संदेश लेकर जाएं, यह सुनिश्चित करना होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को कोरोना की रोकथाम के लिए तय गाइडलाइन और दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।