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November 16, 2024

संविधान दिवस पर बोले भारत के प्रधान न्यायाधीश-लोगों तक पहुंचे न्यायपालिका, ना कि उनसे आने की करें अपेक्षा

संविधान दिवस पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ कानून की नहीं, बल्कि मानवीय संघर्ष और उत्थान की कथा भी कहता है। पिछड़े और समाज के हाशिए पर पड़े दलितों ने इसकी बुनियाद रखी है। संविधान का निर्माण लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। ब्रिटिश राज और उससे पहले के कोर्ट में नागरिकों के अधिकारों का हनन भी होता था। अब हाशिये पर मौजूद लोगों के लिए सुलभ न्याय पहुंचाने की प्रक्रिया को निरंतर आगे बढ़ाए रखने की जरूरत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चीफ जस्टिस होने के नाते मेरा दायित्व है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के साथ और जिला स्तर पर न्यायपालिका के साथ मिलकर हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए भी न्याय सुलभ कराने के इंतजाम करूं। यह आवश्यक है कि न्यायपालिका लोगों तक पहुंचे और लोगों से उस तक पहुंचने की अपेक्षा ना करे। कोविड के दौरान हमने तकनीकी ढांचे को मजबूत कर जनता तक न्याय पहुंचाया। सभी हाईकोर्ट और जिला अदालतों से अनुरोध है कि इस ढांचे को खत्म करने की नहीं, बल्कि आगे बढ़ाए रखने की जरूरत है। ताकि इसके जरिए हम सिस्टम को और सुविधाजनक बनाए रख सकें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि राष्ट्रपति आज कई योजनाओं को शुरू करेंगी। वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, डैश बोर्ड, जस्टिस मोबाइल एप सहित कई तकनीकी इंतजाम शुरू किए जाने हैं। डिजिटल ग्रीन कोर्ट पेपरलेस होंगी. भारतीय न्यायपालिका जनता के द्वार तक जाकर न्याय उपलब्ध कराने को तैयार है। युवा सोच न्याय सुलभ कराने की इस मुहिम में आगे आएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान दिवस समारोह में कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि आजादी के बाद हम अपनी विफलताओं का ठीकरा अंग्रेजों पर नहीं फोड़ेंगे। हमें अपनी नाकामी की जिम्मेदारी भी लेनी पड़ेगी। न्याय पाने के लिए सुविधाएं पहली शर्त हैं, जिसे हम आधुनिक तकनीक से हासिल कर सकते हैं। जनता को कानून की जानकारी लोकभाषा में उपलब्ध करा सकते हैं। लीगल टर्मिनलोजी को स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराना होगा. बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई में भारतीय भाषा समिति स्थापित की है।  लोकल लैंग्वेज इको सिस्टम के तहत कृत्रिम ज्ञान के जरिए स्थानीय भाषाओं को कानूनी ज्ञान के प्रति समृद्ध किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

संविधान दिवस पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि मुकदमों का बोझ कम करने के लिए कई कदम उठाने जरूरी हैं। कंपनी विवादों के लिए स्थाई आयोग की संख्या बढ़ाई जाए। पारिवारिक अदालतें पारिवारिक सुविधा जैसी होनी चाहिए। पंचायत स्तर पर भी कानूनी सहायता यानी लीगल सर्विसेज होनी चाहिए. कानून का शासन अहिंसा के जरिये ही स्थापित किया जा सकता है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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