चमोली आपदाः 34 लोगों के शव बरामद, लापता की संख्या में नहीं है विभागों में तालमेल, अलग-अलग आंकड़े जारी

उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम चौथे दिन भी जारी है। अब तक कुल 34 शव बरामद कर लिए गए हैं। वहीं, लापता के संबंध में सरकार के विभागों में आपसी तालमेल की कमी नजर आ रही है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से बताया जा रहा है कि आपदा में कुल 204 लोग लापता हुए थे। इनमें 34 शव बरामद कर लिए गए हैं। नौ की शिनाख्त की जा चुकी है। 25 शवों की शिनाख्त बाकी है। अभी 170 लोग लापता हैं। वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता एवं उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश आनन्द भरणे की ओर से जारी आंकड़े कुछ ओर बयां कर रहे हैं। इसमें बताया गया कि प्राकृतिक आपदा में अभी तक 197 लोग लापता हैं। लापता लोगों में से 34 लोगों के शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किये जा चुके हैं, जिनमें से 10 लोगों की शिनाख्त हो गई है और 24 लोगों की शिनाख्त नहीं हो पायी है। वहीं, रात आठ बजे की राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट में शिनाख्त की संख्या नौ से दस कर दी गई, लेकिन लापता लोगों के आंकड़ों में अभी भी भिन्नता है। किससे आंकड़े सही हैं, ये पता नहीं।
ये दोनों आंकड़े बुधवार की शाम पांच बजे जारी किए गए हैं। पिछले दो दिन से दोनों के आंकड़ों में अंतर आ रहा है। इस पर साफ नजर आता है कि पुलिस और शासन के विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी है। वहीं हाइड्रो प्रोजेक्ट की 2.5 किलोमीटर लंबी टनल में फंसे तीस से अधिक व्यक्तियों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन रात दिन चल रहा है। अब लोगों के सुरक्षित मिलने की उम्मीद कम ही जताई जा रही है।
फिर भी एक उम्मीद के साथ उन्हें जिंदा तलाशने के प्रयास जारी हैं। नौसेना के कमांडो भी मौके पर पहुंच गए हैं। आइटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ ही सेना के जवान मोर्चे पर डटे हैं। टीम लगातार मलबा हटाकर फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन मलबा ज्यादा होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 180 मीटर दूर टी-प्वाइंट पर फंसे व्यक्तियों को बचाने को अब वैकल्पिक रास्ते पर विचार किया जा रहा है। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इसपर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
ये हुई थी घटना
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था।
तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
वाट्सएप ग्रुप के जरिये शवों की पहचान का प्रयास
पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था नीलेश आनन्द भरणे ने बताया कि प्राकृतिक आपदा में अभी तक 197 लोग लापता हैं। लापता लोगों की पहचान के लिए मुख्यालय स्तर पर दिनांक 09 फरवरी 2021 को उनके परिजनों के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, जिसमें अभी तक 86 परिजनों की ओर से सम्पर्क किया गया है। आपदा में लापता हुए लोगों की सूची एवं बरामद हुए शवों की पहचान के लिए उनका विवरण व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से परिजनों को भेजा जा रहा है। इसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अभी तक 02 शवों की पहचान भी हो गयी है। आपदा में लापता एवं बरामद शवों की पहचान के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है।
डीएनए सेंपलिंग के लिए मोर्चरी में रखे जा रहे हैं शव
उन्होंने बरामद शवों के डीएनए सैम्पलिंग और संरक्षण के लिए राज्य एफएसएल की भी मदद ली जा रही है और सभी मानदंडों का पालन किया जा रहा है। बरामद शवों को मोरचरी कर्णप्रयाग, जोशीमठ और गोपेश्वर में रखा गया है। आपदा में लापता हुए लोगों की सूची एवं बरामद हुए शवों की पहचान के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी लगातार पत्राचार किया गया है। शवों से मिले आभूषण, टैटू एवं अन्य पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है। जनपद चमोली में स्थापित कन्ट्रोल रूम का नम्बर 01372-251487 एवं मोबाइल नम्बर 9084127503 है।
सीएम ने राहत कार्यों में तेजी लाने के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिव आपदा प्रबंधन से आपदा राहत कार्यों और सर्च व रेस्क्यू आपरेशन के बारे में जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने सर्च व रेस्क्यू के काम को लगातार जारी रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं की कमी न हो। जिन मृतकों की पहचान हो जाए, उनके आश्रितों को राहत राशि अविलंब उपलब्ध कराई जाए। जिन शवों की शिनाख्त न हो पा रही हो, उनके डीएनए रिकार्ड सुरक्षित रखे जाएं।
मृत पुलिसकर्मियों को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई
मुख्यमंत्री ने तपोवन में भीषण आपदा में मृत हैड कान्स्टेबल मनोज चौधरी और कांस्टेबल बलवीर सिंह गड़िया को नमन करते हुए शोक संतप्त परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है। बुधवार को कांस्टेबल बलवीर सिंह गड़िया और मंगलवार को हैड कान्स्टेबल मनोज चौधरी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आपदा में मृत्यु का होना बहुत दुखद है। रैणी व तपोवन क्षेत्र में भीषण त्रासदी में सभी मृतकों के प्रति संवदेना प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि लापता लोगों की तलाश के लिए आपरेशन पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है। सर्च एंड रेस्क्यू के साथ ही आपदा राहत कार्यों की उच्च स्तर से लगतार मॉनिटरिंग की जा रही है।
मंगलवार रात्रि और बुधवार को भी जारी रहा सर्च एंड रेस्क्यू
चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के चौथे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन जारी रहा। पूर्व में लापता बताए गए ऋषि गंगा कम्पनी के 02 व्यक्ति सुरक्षित अपने आवास पर पाए गए हैं। तपोवन मे टनल मे फंसे लोगो का रेस्क्यू जारी है। यहां पर करीब 25 से 35 लोग टनल मे फंसे हैं। जिनको बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
जुटे हैं इतने जवान
प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 100, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं।
स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।
प्रभावित गांवों को भेजी जा रही है राशन और जरूरी सामग्री
आपदा में सडक संपर्क टूटने से सीमांत क्षेत्र के 13 गांवों के 360 परिवार प्रभावित हुए है। सडक संपर्क से कटे इन गांवो मे हैली से राशन किट, मेडिकल टीम सहित रोजमर्रा का सामन लगातार भेजा जा रहा है। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री भेजी जा रही हैं।
प्रभावित गांवों में बिजली और पेयजल आपूर्ति
पैंग और मुराडा को छोडकर बाकी सभी 11 गांवो मे विद्युत व्यवस्था सुचारू कर दी गई है। पैंग व मुरंडा मे सोलर लाइट भेजी गई है। उरेडा द्वारा 100 सोलर लाईटों से वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। आपदा से 11 गांवों में पेयजल लाईनें प्रभावित हो गई थीं। इनमें से 10 गांवों में पेयजल आपूर्ति बहाल कर दी गई है। शेष 1 में काम चल रहा है।
ट्राली से वैकल्पिक व्यवस्था
तपोवन, रैणी, जुआग्वाड मे आवाजाही के लिए ट्राली व वैली ब्रिज से वैकल्पिक व्यवस्था बनायी जा रही है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।