उत्तराखंड के गुरुओं की केंद्र ने की उपेक्षा, नहीं समझा इस लायक, अब एक साल का कीजिए इंतजार
उत्तराखंड के गुरुओं की इस बार केंद्र ने उपेक्षा कर दी। या फिर प्रदेश स्तर के ही पूरा होमवर्क नहीं किया गया। ऐसे में यहां के शिक्षकों को केंद्र सरकार ने सम्मान लायक ही नहीं समझा। राष्ट्रीय शिक्षा पुरस्कार से इस बार उत्तराखंड के शिक्षक वंचित रह जाएंगे। कोई भी तय मानक की कसौटी पर पूरा नहीं उतरा। अब ऐसे में शिक्षकों को इस पुरस्कार के लिए एक साल का इंतजार करना होगा। राज्य की ओर से इस पुरस्कार के लिए तीन शिक्षकों के नाम भेजे गए थे।
हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति भवन में शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इसके लिए राज्य की ओर से नाम भेजे जाते हैं और केंद्र की ओर से उन नामों में से कुछ का चयन किया जाता है। इस बार उत्तराखंड से एक भी नाम का चयन नहीं किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार में पारदर्शिता के लिए केंद्र सरकार ने चयन के नए मानक निर्धारित किए हैं। इन मानकों के आधार पर ही राज्य स्तरीय चयन समिति पुरस्कार के लिए शिक्षकों का चयन करती है। चयनित नामों का पैनल केंद्र को भेजा जाता है।
इसके बाद चयनित शिक्षक केंद्र सरकार की टीम के समक्ष पुरस्कार की पात्रता के संबंध में प्रस्तुतीकरण देते हैं। राज्य सरकार ने उत्तरकाशी जिले से प्राथमिक के प्रधानाध्यापक हरीश नौटियाल, टिहरी जिले से जीआइसी के अशोक कुमार बडोनी और पौड़ी जिले से सहायक अध्यापक डा अतुल बमराड़ा का नाम केंद्र सरकार को भेजा था।
केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के रूप में 44 शिक्षकों की घोषणा कर चुकी है। इस बार इस पुरस्कार के लिए उत्तराखंड से एक भी शिक्षक का चयन नहीं हो सका है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।