श्रीलंका संकट को लेकर केंद्र ने 19 जुलाई को बुलाई सर्वदलीय बैठक
केंद्र सरकार ने श्रीलंका संकट पर मंगलवार 19 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर वहां की स्थिति के बारे में जानकारी देंगे।
रविवार की बैठक के दौरान, द्रमुक और अन्नाद्रमुक दोनों ने श्रीलंका और खासकर उस देश में तमिल आबादी की स्थिति से संबंधित मुद्दे को उठाया। बैठक के बाद द्रमुक नेता एम थंबीदुरई ने संवाददाताओं से कहा कि भारत को श्रीलंका संकट के समाधान के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। द्रमुक नेता टी आर बालू ने भी श्रीलंका की मौजूदा स्थिति के समाधान में भारत के हस्तक्षेप की मांग की।
श्रीलंका में जारी विरोध आंदोलन का रविवार को 100 दिन पूरा हो गया। उग्र आंदोलन के कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। अब आर्थिक संकट के बीच देश की जनता नई सरकार की गठन का इंतजार कर रही है। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पिछले सप्ताह के अंत में प्रदर्शनकारियों के आक्रमण से कुछ ही समय पहले अपने आवास से भाग गए थे। गुरुवार को उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
गोटबाया के कुप्रबंधन को श्रीलंका की वित्तीय उथल-पुथल के लिए दोषी ठहराया जाता है। जिसने पिछले साल के अंत से देश के 22 मिलियन लोगों को भोजन, ईंधन और दवाओं की कमी को झेलने के लिए मजबूर किया है। मुख्य रूप से फेसबुक, ट्विटर और टिकटॉक पर पोस्ट के माध्यम से आयोजित राजपक्षे को बाहर करने के अभियान ने श्रीलंका के अक्सर अटूट जातीय विभाजन के लोगों को आकर्षित किया। धीरे-धीरे आंदोलन ने उग्र रूप लिया, जिसके परिणाम स्वरूप सालों से सत्ता में रहे एक परिवार के सदस्यों को सत्ता से दूर जाना पड़ा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।