मजदूरी में किया कार्य मेहनताना माँगता है नित जीवन ही हमें यहाँ सियासत सिखाता है और लहू के रिश्ते हमें...
नारी मंच
डर और उम्मीद डर उसके चले जाने का उम्मीद उसके ठहर जाने की डर उसे खो देने का उम्मीद उसे...
वक्त का दरिया वक्त का दरिया बहता रहता, बहते दौर का हर इक लम्हा। केवल यादें बन कर, ठहरा सा,...
माँ तुम्हारें बिना सारी खुशिया बेमानी सी लगती हैं कितना मुश्किल है माँ माँ तुम्हारे से बिना कुछ कहे सुने...
बस! देखते-देखते ये साल भी गुज़र गया देखने सुनने और समझने में ये साल भी गुजर गया, गुज़र गया लम्हा...
उत्तराखंड की युवा कवयित्री गीता मैंदुली को कथाकुंज साहित्य सेवा परिषद की ओर से भव्य बहुमुखी प्रतिभा सम्मेलन और सम्मान...
रे मन मूरख काहे भरमाए तू। हरि चरनन् चित्त, काहे न लाए तू॥ भव सागर गहरा अति दुस्तर। सौंप प्रभु...
जो नारी का सम्मान न करे वो नर, नारी विहीन रहे न कोई कहे पति उसे न कोई पुत्र कहे...
जब भी लगता है मैं जान गई हूँ तुम्हें पूर्ण तब तब घट जाता है कुछ ऐसा जो मेरा ये...
तुम्हारी याद में आई आज हमारे घर में, एक नन्ही सी मेहमान थी, काले,लम्बे बाल घनेरे, ऑंखें झील सी गहरी...
