दो हजार के नोट का प्रकरण पहुंचा दिल्ली हाईकोर्ट, बिना आईडी के जमा करने का विरोध
देश में दो हजार के नोट वापस लेने की प्रक्रिया बैंकों में कल 23 मई से शुरू होने जा रही है। इसके लिए तर्क दिया जा रहा है कि कालाधन वापस आएगा। हालांकि, वर्ष 2016 की नोटबंदी के समय पर भी ये ही तर्क दिया गया था, लेकिन काला धन वापस नहीं आया। अब 2000 के नोट का मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने इसे लेकर कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया कि 2000 के नोट बिना किसी जमा पर्ची और पहचान प्रमाण के बैंक में जमा करना या एक्सचेंज करना मनमाना और तर्कहीन है। ये भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं।
पढ़ेंः दो हजार के नोटः बैंकों के अपने अपने नियम, एसबीआई ने दी बिना फार्म के सुविधा, दूसरे बैंकों में ऐसी स्लिप तैयार (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके साथ ही उन्होंने याचिका में आरबीआई और एसबीआई को निर्देश देने की मांग की है कि 2000 के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा जाए। ताकि कोई भी अन्य बैंक खातों में पैसा जमा न कर सके और काला धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वाले लोगों की आसानी से पहचान हो सके। भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए केंद्र को काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
19 मई को आरबीआई ने की थी घोषणा
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार 19 मई को 2000 रुपये के नोट को सितंबर 2023 के बाद चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 19 मई की शाम को जारी एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को कहा है। आरबीआई ने बैंकों से 30 सितंबर तक ये नोट जमा करने एवं बदलने की सुविधा देने को कहा है। बैंकों में जाकर 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदले और जमा किए जा सकेंगे। हालांकि एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे। वहीं, एसबीआई ने कहा कि नोट बदलने वाले को ना फार्म भरना होगा और ना ही आईडी प्रुफ देना होगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।