कोरोना से ग्रसित लोगों से अस्पतालों की अत्यधिक वसूली के खिलाफ चलेगा अभियान, राज्यभर में एकत्र किए जाएंगे बिल
कोरोना से ग्रसित लोगों से अस्पतालों की ओर से की गई लूट खसोट की प्रतिपूर्ति के लिए अब समाजसेवी अभिनव थापर अभियान चलाने जा रहे हैं। इसके तहत प्रदेश भर में ऐसे लोगों से बिल की कापी ली जाएगी और इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा।

देहरादून में उत्तराखंड प्रेस क्लब में आयोजित समाजसेवी अभिनव थापर ने बताया कि उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों से अधिक बिल की वसूली और इसकी प्रतिपूर्ति के लिए पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड के सभी कोरोना पीड़ितों के लिये हेल्पलाइन नम्बर व ईमेल जारी किया गया है। इस पर कोई भी निवासी अपने या अपने दोस्त/रिश्तेदारों/जानकारों के हॉस्पिटल, दवाई के बिल, कोरोना की रिपोर्ट व डिस्चार्ज summary ईमेल कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों के अत्यधिक बिल एकत्रित अभियान में उनके साथ उत्तरकाशी से सामाजिक कार्यकर्ता विजयपाल रावत, हिमालय बचाओ आंदोलन से समीर रतूड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता अमित पंत, संग्राम सिंह पुंडीर और राज्य आंदोलनकारी टिहरी से देवेंद्र नौडियाल शामिल हैं। प्रेस वार्ता के दौरान ये लोग भी उपस्थित थे।
दिलाई कोरोनाकाल की याद
प्रेस वार्ता के दौरान अभिनव थापर ने कोरोनाकाल के दुखद दिनों की उन्होंने याद दिलाई। बताया कि पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे थे, इसकी चपेट में अधिकांश लोग आए। भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो, किन्तु पूरे देश में इसने अपने चरम पर दोनों-लहरों में त्राहिमाम मचाया और लाखों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया। अबतक भारत मे 3.42 करोड़ लोगों को कोरोनो हुआ, जोकि पूरे विश्व मे चिंताजनक है और पहले स्थान पर है। कोरोना से लोगो को जान-माल हानि के साथ-साथ आर्थिक मार भी झेलनी पड़ी है।
चौपट हुए काम धंधे, लोग हुए बेरोजगार
उन्होंने बताया कि भारत के मध्यम- वर्ग और निचले वर्ग के 90 प्रतिशत आबादी के कई लोगों की नौकरियां-व्यापार पर खतरा मंडराया। तब भी उन्होंने अपने परिवार वालो को बचाने के लिये प्राइवेट हस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया । भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो, किन्तु प्रदेश में अबतक 3.44 लाख लोगों को कोरोना हुआ है और प्रदेश का डेथ-रेट भी 2.15 रहा, जोकि पूरे भारत मे चिंताजनक दूसरे स्थान पर है।
निजी अस्पतालों ने मचाई लूट, सुप्रीम कोर्ट का रुख
उन्होंने कहा कि कोरोनकाल में केंद्र सरकार की ओर से जून 2020 में प्राइवेट हस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया था। इसके बावजूद कई राज्यो के मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गए। अतः इन सबके दृष्टिगत देश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा अत्यधिक खर्च की प्रतिपूर्ति यानी आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी के लिये उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली में जनहित याचिका लगाई। माननीय सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त पीठ ने इस याचिका के संबंध में प्राइवेट हॉस्पिटल के अत्याधिक बिल चार्ज करने की अनियमिताओं, मरीजों को रिफंड जारी करने व पूरे देश के लिये सुनिश्चित गाइडलाइंस जारी करने विषय मे स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।
करीब एक करोड़ लोगों ने निजी अस्पतालों की तरफ किया रुख
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मुख्य बिंदु यह बताया गया कि पूरे देश में प्राइवेट हस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइंस जारी कर प्राइवेट हस्पतालों के कोरोना मरीजों के लिए चार्ज सुनिश्चित किया गया था। इसके आधार पर समय-समय पर केंद्र और लगभग सभी राज्यों द्वारा कोरोना मरीजों के एक-समान दरों की गाइडलाइंस जारी की गई थी। इसके बावजूद देश भर में लोगों ने अत्यधिक बिल की समस्या को उठाया, किन्तु लोगो को विशेष राहत नही मिली। कोरोना शुरू होने से अबतक देशभर में लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोनो के कारण मजबूरी में प्राइवेट हस्पतालों का रुख लेना पड़ा और अधिकतर लोगों को गाइडलाइंस से अधिक बिल की मार झेलनी पड़ी ।
उत्तराखंड में ये निर्धारित थे रेट
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने 2 सितंबर 2020 को जारी गाइडलाइंस में कोरोना मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में यह चार्ज प्रतिदिन का निर्धारित था। ऑक्सिजन बेड 8 से10 हजार रुपये, आइसीयू के 13 से 15 हजार रुपये, वेंटिलेटर बेड 18 हजार रुपये, जिसमे PPE किट, दवाइयां, बेड, जाँच इत्यादि सब खर्चे जुड़े थे। फिर भी राज्य कई हस्पतालों ने मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये।
पैसे वापसी को लेकर चलाया जाएगा अभियान
उन्होंने बताया कि इन सबके दृष्टिगत प्रदेश में कोरोना मरीजों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा अत्यधिक वसूली की प्रतिपूर्ति, आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी के लिये अपने साथियों के साथ वह प्रदेश भर में अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करेंगे। ऐसे लोगों के बिल एकत्रित कर, उनकी बिल प्रतिपूर्ति का विषय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा।
पुणे और तेलंगाना में वापस हुई राशि
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि इन्ही नियमानुसार हजारों कोरोना पीड़ितों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा पुणे में 6 करोड़ और तेलंगाना में 3 करोड़ रुपये वापिस हुए हैं। इसी आधार पर हम उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों के अधिक बिल प्रतिपूर्ति हेतु माननीय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में भी लाया जाएगा।
कोरोना बिल एकत्रित हेल्पलाइन
व्हाट्सएप नम्बर – 9870807913
ईमेल id- abhinavthaparuk@gmail.com
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।