देहरादून में 524 घरों को तोड़कर लोगों को बेघर करने का अभियान गैर क़ानूनी, 30 मई को होगी आक्रोश रैली

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 524 लोगों के घर को तोड़कर लोगों को बेघर करने के लिए शुरू होने वाले अभियान का विरोध तेज होता जैा रहा है। आज प्रमुख विपक्षी दलों और जन संगठनों की प्रेस वार्ता में कहा कि शासन और प्रशासन की ऐसी नीति का कड़ा विरोध किया जाएगा। साथ ही 30 मई को प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में जनआक्रोश रैली निकाली जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड के देहरादून में 524 घरों पर बुलडोजर का भय सता रहा है। नगर निगम और एमडीडीए इसकी तैयारी कर रहे हैं। रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। नगर निगम और वर्ष 2016 के साथ से नदी किनारे बसी हुई बस्तियों को 30 जून तक हटाने के नोटिस भेज रहा है। साथ ही अब एमडीडीए ने भी नोटिस भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस संबंध में 27 बस्तियों में 524 घर चिह्नित किए गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज रविवार 26 मई को समाजवादी पार्टी कार्यालय में आयोजित की गई प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने कहा कि 16 मई को देहरादून के जिलाधिकारी ने खुद माना कि प्रशासन की ओर से तय की गयी बेदखली सूची में गलतियां हैं। इसमें ऐसे अनेक लोगों के नाम को शामिल किया गया है, जो कई साल से रह रहे हैं। इस सूचि को बनाने के लिए कोई भी क़ानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। इसमें यूपी पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम की सारी धाराओं का उल्लंघन हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा कि सरकार का खुद का वादा था कि बस्तियों का नियमितीकरण होगा। प्रधानमंत्री जी का वादा था कि 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा। फिर भी लोगों को उजाड़ा जा रहा है। गरीबों को हक़ देने के बजाय उन पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि सरकारी विभाग एवं निजी बिल्डरों की ओर से नदी के बीच में बनाये गए निर्माण में कई निजी होटल, राज्य की विधान सभा, पुलिस अफसर कॉलोनी इत्यादि पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यह सब आचार संहिता के समय में किया जा रहा है जो आचार संहिता के मूल्यों के खिलाफ है। 30 मई 2024 को होने वाली जन आक्रोश रैली में इसके खिलाफ आवाज़ उठाई जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर मांग की गई कि किसी को बेघर न किया जाये, सरकार अपने ही वादों के अनुसार नियमितीकरण करे या पुनर्वास करे। मज़दूर वर्गों के लिए घर की योजना पर युद्धस्तर पर काम करे। प्रेस वार्ता में सीटू के राज्य सचिव लेखराज, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एसएन सचान, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, किसान सभा के राज्य महामंत्री गंगाधर नौटियाल, सीपीआई (एम) सचिव के अनंत आकाश, सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा शामिल रहे। रैली को उत्तराखंड महिला मंच, एटक और इंटक ने भी समर्थन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
गरीबों की आवाज दबाने के लिए भाजपा बुल्डोजर का प्रयोग करती है। गरीबों को बसाने के बजाय उजाड़ने में रुचि लेती है भाजपा सरकार।