बिजली की दर बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी के महंगाई के बोझ को बढ़ाने का किया कामः करन माहरा
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने लोकसभा चुनाव के मतदान निपटने के बाद ही उत्तराखंड में बिजली की दरों में की गई भारी वृद्धि पर रोष प्रकट किया। साथ ही कहा कि बीजेपी सरकार ने महंगाई के बोझ से दबी जनता के सिर पर और बोझ डाल दिया। उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा और तत्काल ऐसा निर्णय वापस लेने की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से बिजली की दरों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का निर्णय, जनहित में न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी के राज्य सरकार के निर्णय से पहले से ही जनता मंहगाई की मार झेल रही है। अब प्रदेश की जनता पर दोहरी मार पड़ेगी। इसका खामियाजा गरीब, किसान व आम जनता को भुगतना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादक राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड राज्य में पूर्व से ही बिजली की दरें अन्य राज्यों की तुलना में भी ज्यादा है। बिजली उत्पादन में शून्य राज्यों से भी ज्यादा उत्तराखंड में बिजली की दरें हैं। अब अतिरिक्त बिजली खरीदने तथा नवीनीकरण के नाम पर एडीबी से लिये जा रहे नये लोन का बोझ भी प्रदेश की आम जनता पर थोपा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जनता को राहत देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार ने चुनाव की वोटिंग समाप्त होते ही जनता पर महंगाई का बोझ डाल दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण गरीब व आम आदमी पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017 से 2024 के मध्य 7 वर्ष के अन्तराल में बिजली के दामों में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसके विपरीत आम जरूरत की चीजों के दामों में कई गुना वृद्धि पर केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोल, खाद्य पदार्थों के लगातार बढ़ रहे दामों के बाद अब राज्य सरकार ने बिजली की दरों में भारी वृद्धि कर जनता को मंहगाई के बोझ से लादने का काम कर दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विभागीय लापरवाही के चलते होने वाले लाईन लॉस की क्षतिपूर्ति आम उपभोक्ता की जेब से किये जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग का यह फैसला तर्क संगत प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर अस्पताल, स्कूल, कॉलेजों की बिजली भी मंहगी होने से शिक्षा मंहगी होने का अंदेशा है, वहीं किसानों के नलकूपों के लिए महंगी बिजली से परेशानी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः उपभोक्ताओं से खेलः मतदान निपटा और सात दिन में कर दी बिजली महंगी, बीजेपी ने दिया ये तर्क
उन्होंने कहा कि एक तरफ बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है, वहीं दूसरी ओर गुजरात बेस अल्पस कम्पनी एवं श्रावंती कम्पनी को विगत वर्षों से बिना बिजली उत्पादन किये ही करोड़ों रूपये का भुगतान किस ऐवज में किया गया है, यह समझ से परे है। उन्होंने कहा कि जनहित को देखते हुए सभी प्रकार की विद्युत दरों में की गई वृद्धि के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाय। अन्यथा कांग्रेस पार्टी सरकार की इस जन विरोधी एवं गरीब विरोधी नीति का सड़कों पर उतर कर विरोध करेगी।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।