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April 20, 2025

बिहार में पत्रकार और आरटीआइ एक्टिविस्ट की बोरे में मिली जली लाश, किए थे कई खुलासे

बिहार में चार दिन पहले किडनेप किए गए 22 साल के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट का शव शुक्रवार शाम जली अवस्था में सड़क किनारे मिला है। बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के साथ बतौर पत्रकार जुड़े हुए थे।

बिहार में चार दिन पहले किडनेप किए गए 22 साल के पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट का शव शुक्रवार शाम जली अवस्था में सड़क किनारे मिला है। बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के साथ बतौर पत्रकार जुड़े हुए थे। अविनाश ने ‘फर्जी’ मेडिकल क्लिनिक को लेकर लिखे फेसबुक पोस्ट के दो दिन बाद लापता हो गए थे। अविनाश के काम की वजह से कुछ क्लिनिक बंद हो गए थे, जबकि कईयों पर भारी जुर्माना लगा था। अपनी रिपोर्टिंग के दौरान उन्हें कई धमकियां मिलीं और लाखों की रिश्वत के ऑफर मिले, लेकिन उन्हें काम करने से कोई भी नहीं रोक पाया। न ही उन्हें कोई सुरक्षा ही दी गई।
बुद्धिनाथ उर्फ अविनाश को 9 नवम्बर की रात अपने घर के पास स्थित क्लीनिक के करीब लगे सीसीटीवी में 9.58 बजे अंतिम बार देखा गया। उनका घर मधुबनी शहर के पुलिस थाने से मुश्किल से 400 मीटर दूरी पर ही है। अविनाश को सीसीटीवी में कई बार घर के गली के आगे मुख्य सड़क पर घूमकर फोन पर बात करते हुए देखा गया। सीसीटीवी में अविनाश घर के पास बने क्लिनिक से लेकर कई बार मेन सड़क तक जाकर बात करते हुए दिख रहा है। अंतिम बार उसे 9 बजकर 58 मिनट पर गले में पीला रंग का गमछा लपेटकर बेनीपट्टी थाने के पास से गुजरता देखा गया। उसके बाद उसका कोई पता नहीं चल सका।
जब सुबह परिजनों ने उसकी खोजबीन की, तो पता चला कि उसकी बाइक व बाइक की चाभी उसके क्लीनिक में ही है जहां वह खुद अपना काम करता था, व क्लीनिक का गेट खुला हुआ व उसका लैपटॉप भी ऑन ही था। इस लिहाज से सभी ने अनुमान लगाया कि वह रात में इस मंशा से बाहर निकला कि वह जल्द वापस जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
10 नवंबर को परिजनों की चिंता बढ़ी तो पास के ही एक सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया, जिसमें उसे 9.58 पर अंतिम बार देखा गया। इसके बाद परिजनों ने थाने को इस बात की जानकारी दी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने उसका मोबाइल ट्रेस किया, तो बेनीपट्टी थाने से पश्चिम करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बेतौना गांव में 10 तारीख की सुबह 9 बजे के करीब में अंतिम बार मोबाइल ऑन हुआ था। जब पुलिस वहां पहुंची तो उसे कोई ठोस जानकारी नहीं मिली।
इस बीच, उसके कुछ साथियों ने जानकारी दी कि अविनाश झा फिर से बेनीपट्टी के फर्जी नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर कागजी कार्रवाई कर रहा है। जिसको लेकर उसनें 7 नवंबर को अपने फेसबुक स्टोरी पर उक्त तमाम क्लीनिक के नाम सहित ‘खेला होबे’ का गाना के साथ लिखा कि-15 नवम्बर से खेला होबे। इसी बीच, 9 नवम्बर की रात उसे गायब कर दिया गया। अविनाश के फेसबुक स्टोरी भी इस घटना के पीछे का कारण होने की आशंका है।
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले अविनाश झा ने दर्जनों फर्जी नर्सिंग होम पर परिवार व आरटीआई के माध्यम से लाखों का जुर्माना व कितनों को बंद करवा चुका है। इस दौरान उसे लगातार धमकी भी मिली थी, व कई बार लाखों का प्रलोभन भी मिला जिसे उसने कभी स्वीकार नहीं किया।
बेनीपट्टी थाना में दर्ज एफआईआर में पुलिस अपना अनुसंधान 11 नवंबर को भी करती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस कार्रवाई में पुलिस को संदिग्ध लोगों के सीडीआर निकालने में करीब 20-22 घंटे का समय लगा। हालांकि, यह मामला सुर्खियों में तब आया, जब अविनाश के लापता होने की जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस क्रम में 12 नवंबर को अविनाश के चचेरे भाई बीजे विकास के नंबर पर उड़ेन गांव के एक युवक का कॉल आया। फोन पर उसे बताया गया कि गांव के पास हाईवे के निकट एक लाश मिली है। जिसके बाद प्रशासन के साथ कुछ परिजन मौके पर पहुंचे, जहां शव की शिनाख्त हुई।
शव को जलाकर सड़क किनारे फेंका गया था। शव की पहचान अविनाश के हाथ की अंगूठी, पैर में मस्से का निशान, गले में चेन से की गई। शव को बरामद करने के साथ ही अविनाश के बड़े भाई के सहमति से शव को तत्काल मधुबनी सदर अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जहां रात में शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सुपुर्द किया गया। अविनाश का अंतिम संस्कार 13 नवंबर को सिमरिया में किया गया। घटना को लेकर इलाके में काफी आक्रोश है।
ये है पूरा मामला
अविनाश के आरटीआई व परिवाद दायर करने की निरंतरता के पीछे की वजह यह है कि अविनाश ने 2019 में बेनीपट्टी के कटैया रोड में जयश्री हेल्थ केयर के नाम से अपना नर्सिंग होम खोला था, जिसमें वह बाहर से चिकित्सकों को बुलाकर मरीजों का इलाज करवाता था। इस बीच प्रतिद्वंद्वी कुछ चिकित्सकों ने उसके नर्सिंग होम पर साजिशन हंगामा करवा दिया, जिससे आहत होकर उसने क्लीनिक बंद कर दिया। इससे आहत होकर उसने ठाना कि अब इलाके में कोई कहीं मेडिकल लाइन में गलत नहीं कर पायेगा, और उसने आरटीआई परिवाद करना शुरू कर दिया।

 

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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