Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 17, 2025

तालिबानियों में खूनी संघर्ष, मुल्लाह बरादर पर बरसाए घूंसे, चीफ हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत

अफगानिस्तान में सत्ता पाने के बाद आपस में खूनी संघर्ष ने तालिबान को बड़ा झटका दिया है। ब्रिटेन की एक मैगजीन ने दावा किया है कि कुर्सी की इस लड़ाई में तालिबान के सर्वेसर्वा हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो गई है और उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है।

अफगानिस्तान में सत्ता पाने के बाद आपस में खूनी संघर्ष ने तालिबान को बड़ा झटका दिया है। ब्रिटेन की एक मैगजीन ने दावा किया है कि कुर्सी की इस लड़ाई में तालिबान के सर्वेसर्वा हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत हो गई है और उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है। सत्ता के लिए यह संघर्ष तालिबान के ही दो धड़ों के बीच हुआ था। मैगजीन ने यह भी बताया कि हक्कानी धड़े के साथ इस झगड़े में सबसे ज्यादा नुकसान मुल्लाह बरादर को ही पहुंचा है। मुल्लाह बरादर पर जमकर घूसें भी बरसाए गए। उनके अपहरण की बात भी कही जा रही है।
ब्रिटेन की मैगजीन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सितंबर माह में तालिबान के दोनों धड़ों की बैठक हुई थी। इस दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब हक्कानी नेता खलील-उल रहमान हक्कानी अपनी कुर्सी से उठा और उसने बरादर पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए। बरादर लगातार तालिबान सरकार के कैबिनेट में गैर-तालिबानियों और अल्पलसंख्यकों को भी जगह देने का दबाव बना रहा था। ताकि दुनिया के अन्य देश तालिबान सरकार को मान्यता दें।
ताबिलान ने अशरफ गनी की अगुवाई वाली सरकार को हटाकर अफगानिस्तान की सत्ता भले ही हथिया ली हो, लेकिन समावेशी सरकार देने का उसका वादा धरा का धरा रह गया। मुल्ला बरादर को तालिबान सरकार में एक उदारवादी चेहरा माना जाता है। बरादर तालिबान का प्रमुख चेहरा रहा है और अमेरिका के साथ शांति वार्ता में भी शामिल रहा है। कहा जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क से टकराव के बाद बरादर को किनारे कर दिया गया है।
इस झड़प के बाद बरादर कुछ दिनों के लिए लापता था और अब एक बार फिर से उसे कंधार में देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बरादर ने आदिवासी नेताओं से मुलाकात की है, जिनका समर्थन भी उसे मिला है। हालांकि, बरादर पर दबाव बनाकर उससे वीडियो संदेश जारी किया। मैगजीन ने दावा किया कि इस वीडियो से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि बरादर को बंधक बना लिया गया है।
ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर महीने की शुरुआत में तालिबान सरकार के गठन को लेकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन में एक बैठक के दौरान बरादर और हक्कानी नेटवर्क के नेता के बीच विवाद हो गया। दरअसल, बरादर अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार चाहता था, जिसमें गैर-तालिबानी नेताओं और जातीय अल्पसंख्यकों की भी भागीदारी हो। बरादर का मानना था कि दुनिया में तालिबान सरकार की मान्यता के लिए समावेशी सरकार जरूरी है। हालांकि, हक्कानी नेटवर्क को यह बात नागवार गुजरी।
रिपोर्ट के मुताबिक, बहस के बीच हक्कानी नेता खलील उल रहमान हक्कानी अपनी कुर्सी से उठा और बरादर पर घूंसे बरसाने लगा। कहा जा रहा है कि उनके बॉडीगार्डस के बीच भी झगड़ा हुआ और गोलियां चलीं, जिसमें कई लोग घायल भी हुए। इसके बाद बरादर तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा से मिलने कंधार चला गया। इस बीच खबरें आईं कि बरादर बुरी तरह घायल है। बाद में बरादर ने वीडियो जारी करके इन खबरों का खंडन किया।
मुल्ला बरादर जहां कंधार में है, वहीं अभी तक हैबतुल्लाह अखुंदजादा के ठिकाने का कुछ पता नहीं चल पाया है। तालिबान ने बार-बार वादा किया है कि अखुंदजादेह जल्द ही सबके सामने आएंगे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। काबुल पर कब्जा किए एक महीने से अधिक समय हो गया है। द स्पेक्टेटर न्यूजपेपर ने अफवाहों का हवाला देते हुए कहा कि अखुंदजादा की मौत हो गई है। तालिबान नेताओं के बारे में इस तरह की अटकलों को आंदोलन के संस्थापक मुल्ला उमर की मौत की वजह से हवा मिलती है। मुल्ला उमर की मौत के दो साल बाद 2015 में इसकी जानकारी सार्वजनिक की गई।
बता दें कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तालिबान की अंतिम सरकार में उप प्रधानमंत्री बनाया गया है. बरादर को तालिबान का ‘सॉफ्ट फेस’ माना जाता है. अफगानिस्तान छोड़कर गए अमेरिका और उसके सहयोगियों को उम्मीद दी थी कि बरादर तालिबान सरकार की आवाज बनेगा, लेकिन कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया मुल्ला हसन अखुंद को. बरादर को साइडलाइन किए जाने की खबरें से पश्चिमी देशों को भी दिक्कत होगी क्योंकि शांति वार्ता का प्रमुख चेहरा बरादर ही था।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *