उत्तराखंड में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, सरकार देगी इसकी दवा, फिलहाल कई अस्पतालों में है दवा का टोटा

उत्तराखंड सरकार ने ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को महामारी और सूचीबद्ध बीमारी घोषित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरेसिन-बी के वितरण को लेकर संशोधित मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी कर दी है। यह साफ किया गया है कि यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल और सरकारी मेडिकल कालेज अथवा संस्थाओं को ही जारी की जाएंगी। अस्पताल इस दवा के लिए सरकारी कार्यालयों के खुलने की अवधि के दौरान कभी भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कुमाऊं मंडल में डा. रश्मि पंत और गढ़वाल मंडल में डा. कैलाश गुंजियाल को नोडल अधिकारी बनाया गया है। वहीं, शनिवार को उत्तराखंड के अधिकांश अस्पतालों में इसकी दवा उपलब्ध नहीं थी।
खत्म हो चुकी है अस्पतालों में दवा
एक ओर सरकार भाषणों में कोरोना की रोकथाम को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है। वहीं, धरातल पर हकीकत कुछ अलग है। शनिवार 22 मई को उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने देहरादून के मुख्यचिकित्साधिकारी के कक्ष में पहुंचकर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर धरना दिया था। तब स्वास्थ्य महानिदेशक तृप्ति बहुगुणा ने फोन कर व्यवस्थाएं बेहतर बनाने का आश्वासन दिया था। इस दौरान ये बात सामने आई कि अभी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की दवा खत्म हो चुकी है। इसमें लगने वाले जितने इंजेक्शन आये थे, वे सब बट चुके हैं। तीन सौ इंजैक्शन का आर्डर दिया जा चुका है, जिसके आते ही मरीजों को तत्काल दे दिया जाएगा।
अटल आयुष्मान योजना में होगा इलाज
प्रदेश में बीते कुछ दिनों से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं। इससे होने वाली मौत के मामले भी बढ़ने लगे हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। सचिव स्वास्थ्य पंकज कुमार पांडेय ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ रही है। ब्लैक फंगस और कोरेाना का एकीकृत इलाज किए जाने के दृष्टिगत इसे कोरोना के अंतर्गत ही महामारी व सूचीबद्ध बीमारी घोषित किया जाता है। ब्लैक फंगस को कोरोना के अंतर्गत महामारी घोषित करने से इसकी अटल आयुष्मान योजना व आयुष्मान भारत योजना में मुफ्त इलाज का रास्ता भी साफ हो गया है।
दवा की हुई कमी तो जारी की एसओपी
इसके साथ ही शासन ने इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाले दवा एंफोटेरेसिन-बी के उपयोग को लेकर संशोधित गाइडलाइन जारी कर दी है। अभी केंद्र ने उत्तराखंड सरकार को पहली खेप के रूप में एंफोटेरेसिन-बी की 50 डोज भेजी है। ये अब समाप्त होने की कगार पर है। दवा की कमी को देखते हुए सरकार ने इसके इस्तेमाल के लिए संशोधित एसओपी जारी की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह दवा केवल जिला कोविड अस्पताल, सरकारी मेडिकल कालेज और संस्थानों को ही दी जाएगी। किसी निजी अस्पताल और व्यक्तिगत मांग पर यह उपलब्ध नहीं होगी।
सचिव स्वास्थ्य डा. पंकज कुमार पांडेय की ओर से जारी एसओपी के अनुसार दवा के लिए अस्पताल अथवा मेडिकल कालेज के डाक्टर मरीज के संबंध में पूरी जानकारी एक निश्चित प्रारूप में भरकर शासन द्वारा गढ़वाल व कुमाऊं में अधिकृत किए गए नोडल अधिकारियों को भेजेंगे। ये नोडल अधिकारी दवा का वितरण संपूर्ण धनराशि प्राप्त होने के बाद सुनिश्चित करेंगे।
बढ़ रहे हैं मामले
उत्तराखंड में अब तक ब्लैक फंगस से आठ लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें एक मौत हल्द्वानी और पांच मौत एम्स ऋषिकेश में हुई। अभी भी प्रदेश में विभिन्न अस्पतालों में 90 से अधिक मरीज हैं। शनिवार की रात तक एम्स ऋषिकेश में म्यूकोर माइकोसिस के कुल 64 मरीज आ चुके हैं। इनमें से उपचार के दौरान अब तक 5 लोगों की मृत्यु हुई है और एक मरीज को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। अब एम्स में म्यूकोर माइकोसिस के 58 रोगी भर्ती हैं। देहरादून में डोईवाला स्थित हिमालयन अस्पताल में दो मरीजों की ब्लैक फंगस मौत हो चुकी है। इनमें एक मौत शनिवार को हुई। यहां कुल 15 मरीज भर्ती किए गए। इनमें चार मरीज डिस्चार्ज किए गए हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।