कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के बयान पर भाजपा का पलटवार, कहा- मनमोहन सरकार के कार्यों पर नजर डालें
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विपिन कैंथोला ने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरवबल्लभ के सरकारी संपत्ति को बेचने के बयान पर पलटवार किया।
कैंथोला ने कहा कि कांग्रेसी प्रवक्ता अपने सरकार के किये गए जनविरोधी व देशविरोधी कार्यो को छुपाने के लिए भ्रामक बयानबाजी करते रहते हैं। उन्होंने कहा की राजीव गांधी फाउंडेशन के खाते में चीन से महज डेढ़ करोड़ में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाली कांग्रेस पार्टी व उनके नेताओं को झूठ व फरेब फैलाने की आदत हो गयी है। आज देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। देश के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन बना दी है। इनको पच नही रहा है। वैक्सीन को लेकर ये देश मे गलत बयानबाजी करके समाज को तोड़ने का कुकृत्य करते रहे हैं।
कैंथोला ने कहा कि गौरवबल्लभ को बताना चाहिए कि एफडीआई देश मे कौन लेकर आया ? इन्दिरा गांधी एयरपोर्ट को किसने निजी हाथों में दिया ? कैंथोला ने कहा कि डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी को भारत में कौन लाया था। जरा गौरवबल्लभ ओर कांग्रेसी सर्च कर लें, तो पता चल जाएगा। जब नरसिम्हा राव के समय में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने संसद में कहा था मैक्सिमम गवर्नमेंट लेस गवर्नेंस। उन्होंने कहा था कि सरकार का काम धंधा करना नहीं सरकार का काम गवर्नेंस देना है। ऐसा माहौल देना है कि लोग यह सब काम करें। मनमोहन सिंह सरकार ही सबसे पहले टोल टैक्स पॉलिसी लाई थी। यानी निजी कंपनियों द्वारा सड़क बनाओ और उन कंपनियों को टोल टैक्स वसूलने का परमिशन दो। ओर जीजा को कम्पनियों के साथ साझेदारी दो।
एयरपोर्ट का निजीकरण मनमोहन सिंह की देन है
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने सबसे पहले एयरपोर्ट के निजीकरण की शुरुआत की थी। सबसे पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को जीएमआर ग्रुप को दिया गया। पहले ही देश को कांग्रेस निजीकरण करने का काम कर चुकी थी। कैंथोला ने कहा इन पर यह टिप्पणी सटीक व सही बैठती है कि-आज चम्पक उछल उछल कर नाच नाच कर बेसुर राग गाते फिर रहें हैं। कैंथोला ने कहा कि काँग्रेसी अपने पुर्वजों के 55 वर्ष के किये गए कुकृत्यों को कब तक छिपाएंगे। क्या क्या छुपायेंगे। यह पब्लिक है सब जानती है। पूरी कांग्रेस के आला नेता बेल पर है। यह भी उत्तराखंड की जनता जानती है।
कैंथोला ने कहा कि गोरवभलभ यह बताएं कि उनकी यूपीए सरकार ने उत्तराखंड के विशेष आर्थिक पैकेज को क्यों नही दिया, जो कि अटल जी ने दिया था। आज चुनाव के समय पर प्रदेश में आकर झूठे बयान देकर उत्तराखंड में भ्रम फैलाने की जो कोशिश कर रहे है। वह नाकाम ही रहेगी, क्योकि गौरवबल्लभ यह भूल गए कि यह सैनिकों और वीरों की भूमि है और उत्तराखंड की जनता जानती है कि किसने 55 वर्षों में देश को भ्र्ष्टाचार की दीपक से चाटने का काम किया है। यह कुचक्र व भृमक प्रचार उत्तराखंड में नही चलने वाला है।
हरीश रावत को बयान पर घेरा
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व दर्जाधारी राजेश कुमार ने कांग्रेस पंजाब संगठन के प्रभारी एवं पूर्व सीएम उत्तराखंड हरीश रावत द्वारा पंज प्यारों के उपर दिये गये अपने विवादित बयान को लेकर उन्हें घेरा है। हालांकि हरीश रावत बयान पर माफी मांग चुके हैं। वहीं, कांग्रेस ने आज ही भाजपा नेताओं के कई विवादित बयान गिनाए, जिन पर उन्होंने कभी माफी नहीं मांगी। यही नहीं, पूर्व सीएम के नानकमत्ता गुरुद्वारे में चांदी का मुकुट पहनने और उस दौरान उनके साथ सांस्कृतिक दल के दरबार तक पहुंचने को लेकर सिख संगत ने बवाल मचा दिया था। तब भी भाजपा चुप रही। अब कांग्रेस इसे पलटवार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
राजेश कुमार ने हरीश रावत के इस बयान को घमंड में आकर दिया गया बयान बताया। साथ ही कहा है कि शायद हरीश रावत को पंज प्यारों का मतलब पता नहीं है। उन्होंने हरीश रावत को इतिहास पढ़ने की सलाह देते हुए कहा है कि जब मुगलों ने हिंदुस्तान में आतंक फैलाया था तब दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने संगत में से ही ऐसे पांच लोगों को चुना था। जो उन्हीं की तरह मुगलों के जुल्मों के खिलाफ उनके साथ उनसे कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। हरीश रावत बार बार जान बूझकर सिक्ख धर्म का अपमान करना चाहते हैं। राजेश ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी पंच प्यारों को ही इजाजत दी थी कि वे अमृत चखा कर आम इंसान को सिंह बनायें और फिर उन्हीं की देखरेख में सिक्ख पंथ का उदय हुआ था। सिक्ख पंथ ने ही हिंदुस्तान से मुगल आक्रांताओं को खदेड़ा है। आज भी इस पंथ के सिंह जुल्मों के खिलाफ लड़ते हैं। राजेश कुमार ने कहा कि पहले जानबूझकर किसी धर्म का मजाक उड़ाना फिर राजनीति के लिये माफी मांगनी कांग्रेस की संस्कृति बन चुकी है। राजेश कुमार ने हरीश रावत के इस बयान की निंदा की है। (हालांकि पूरी विज्ञप्ति में न तो गुरु ही ठीक लिखा गया और न ही गोबिंद सिंह जी का नाम, जिसे समाचार संपादन के दौरान सही किया गया है)
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।