प्रस्तुत हे मातृशक्ति की सुंदर रचना- माता के दरबार में
—-माता के दरबार में—–
अम्बे भवानी माता
तू जग से निराली है
माता के दरबार में
आया सवाली है।
नौ दिन नौ रात तेरे
पूजन करूं मैं माता
श्रद्धा और शक्ति से
उजमन करुं मैं माता
जोत अखण्ड जलाऊं मैं
मेरी भक्ति जुनाली है
मां अम्बे भवानी माता
तू जग से निराली है।
सुख-समृद्धि देने वाली
तम-कलुष मिटाने वाली
करती दुष्टों का संहार तू
भर दे जीवन में प्यार यूं
सुबह- शाम साधना करूं मैं
मेरी बगिया की तू माली है
मां अम्बे भवानी माता
तू जग से निराली है।
राजा हो या हो रंक
दर्शन सभी को देती
चर और अचर में भी
जय – जय तेरी ही होती
कर्मों की गठरी खोलूं मैं
मेरी पूजा बवाली है
मां अम्बे भवानी माता
तू जग से निराली है।
कवयित्री का परिचय
नाम – शशि देवली
शिक्षा – बी एस सी, एम ए, बीएड,एम एड,शिक्षा विशारद।
सम्प्रति – शिक्षिका
साहित्य क्षेत्र
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व साझा संग्रहों में नियमित लेखन। विभिन्न साहित्य मंचों पर काव्य पाठ तथा अपनी आवाज के माध्यम से विभिन्न रिपोर्ट एवं धार्मिक स्थलों का प्रचार प्रसार।
प्रकाशित कृति –
मुड के देखना कभी, मन कस्तूरी ,उड़ने की चाह
(एकल काव्य संग्रह), इश्क़ से राब्ता (गजल संग्रह)
अनकहे जज्बात, शब्दों के रंग, सत्यम प्रभात, रचना कवियों की, नन्ही परी, सफरनामा, गुलनार, मधुबन, वृक्ष वसुंधरा, आधी आबादी की यात्रा , ख्वाबों के शजर, महफ़िल ए गजल,अच्छे दिन की तलाश,देश के प्रतिनिधि सजलकर, नर्मदा के रत्न,सजल सप्तक 9, आत्म सृजन , सृजन संसार।
सम्मान – उत्तराखंड शौर्य, साहस और स्वाभिमान का सबसे बड़ा पुरस्कार “तीलू रौतेली सम्मान” से सम्मानित।
पता – गोपीनाथ मंदिर के पास, मंदिर मार्ग गोपेश्वर, जिला चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।