अशोक आनन की कविता- रंगों की भोर हो

हाथों में रंग हो।
दिलों में उमंग हो।
अछूता कोई भी
रंग से न अंग हो।
होंठों पे गीत हो।
रंगों से प्रीत हो।
दिल से दूर कोई
आज न मनमीत हो।
रंगों की बहार हो।
दिल हर गुलज़ार हो।
रंगों की फुहार से
मन का श्रृंगार हो। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
रंगों की भोर हो।
खुशियां चहुंओर हो।
कोयल की कूक से
मन भाव-विभोर हो।
सतरंगी शाम हो।
मन भी बृजधाम हो।
प्यार से सराबोर
राधा, हर श्याम हो।
हृदय फूल – बाग हो।
निश्छल अनुराग हो।
बहारों में रंगा
नख से शिख फाग हो।
ख़ुश हर घर – बार हो।
हर मन त्योहार हो।
द्वार पर सजी – धजी
अब बंदनवार हो।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।