अशोक आनन की कविता- ख़त लिखा नहीं
![](https://loksaakshya.com/wp-content/uploads/2023/12/ashokanan-2.png)
वक़्त ख़तों का अब रहा नहीं।
ख़त लिखता कोई दिखा नहीं।
रहता है सुबह से ख़तों का
अब भी इंतज़ार , पता नहीं।
लिखते थे सुबह से जिसे वो
उसे सालों से ख़त लिखा नहीं। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
चीरकर दिल वो क्या रखेंगे
ख़त लिखना जिसने सिखा नहीं।
जिनके इंतज़ार में आता था
आता है अब वो मज़ा नहीं।
ख़तों में जो उड़ेल देते थे
वो प्यार दिलों को हुआ नहीं।
कह दें वो, झूठ है, उन्होंने
ख़त किताबों में रखा नहीं।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
![](https://loksaakshya.com/wp-content/uploads/2024/09/WhatsApp-Image-2024-09-20-at-1.42.26-PM-150x150.jpeg)
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।