अशोक आनन की कविता- बैर का न रंग हो
बैर का न रंग हो
रंग में न भंग हो।
बैर का न रंग हो।
रंग का मज़ा कहां
मुहब्बत न संग हो।
दिल से प्रीत बांटें
दिल कभी न तंग हो।
बात – बात पर कभी
किसी से न जंग हो। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
रंग से अब कोरा
देह का न अंग हो।
रंग हो न, रंग की
मन में न उमंग हो।
रंग, मन भाए न वो
रंग का न ढंग हो।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।