अपने ही किसान संगठन हुए नाराज, तो डरी सरकार, आरएसएस से जुड़े बीकेएस का प्रदर्शन, रवि फसलों पर बढ़ाई एमएसपी
आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने बुधवार को किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। साथ ही दावा किया गया कि पूरे देश भर में संगठन ने 500 जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। अब अपने ही खिलाफ किसानों के जाने पर केंद्र में भाजपा सरकार को किसानों को लुभाने के निर्णय लेने पड़े।

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने बुधवार को किसानों से जुड़े मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे किसानों और संगठन के पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार से फसलों की लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने की मांग की। प्रदर्शन में हिस्सा लेने आए किसानों ने कहा कि सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे कोई भी तय कीमत से कम दाम में फसलों को न खरीद सके। उन्होंने कहा कि जब तक लागत आधारित लाभकारी मूल्यों पर किसान की फसल नहीं खरीदी जाएगी तब तक किसानों का भला नहीं होगा।
भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्री नारायण चौधरी ने अपने बयान में कहा कि बुधवार को देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान देश के 500 जिलों में सांकेतिक धरना देने के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा जा रहा है। किसान संघ की मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर फसलों की खरीद के लिए कानून बनाना है। चौधरी ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित और सही मूल्य मिलनी चाहिए तभी किसानों का भला होगा।
चौधरी ने कहा कि सरकार महज 25 फीसदी अनाज ही किसानों से खरीद पाती है उसका भुगतान भी किसानों को समय पर नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान महासंघ ने 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग किया था कि किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिए जाने के लिए कठोर कानून बनाया जाए।
मोदी कैबिनेट ने इन प्रस्तावों को दी मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट ने कपड़ा उद्योग के लिए प्रोत्साहन नीति को भी मंजूरी दी है। कैबिनेट ने वस्त्र उद्योग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव ( PLI) यानी उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन नीति को भी हरी झंडी दिखा दी है। इस क्षेत्र के 10 अलग अलग उत्पादों के लिए अगले 5 साल तक 10600 करोड़ से ज्यादा का पैकेज दिया जाए।
रबी की फसलों में गेहूं, ज्वार-बाजरा, सरसों और मटर-चना आदि आते हैं, जिन पर एमएसपी (MSP) घोषित की जाती है। मानसून के बाद इन फसलों की बुवाई शुरू होती है और अप्रैल-मई में इनकी कटाई होती है। खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में गेहूं पर 40 रुपये प्रति क्विंटल और जौ पर 35 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कैबिनेट ने रबी सीजन 2022-23 के लिए एमएसपी बढ़ा दिया है। फसलों की विविधता को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है। गेहूं, रेपसीड और सरसों पर ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और उसके बाद जौ, चना, मसूर, तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों के समर्थन मूल्य पर हालिया वक्त में ज्यादा ध्यान दिया गया है। सरकार का कहना है कि एमएसपी बढ़ने से किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल सकेगा।
कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद इन निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन नीति को मंजूर किया गया है। इसके तहत अगले पांच साल में मोदी सरकार 10,683 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इससे 7.5 लाख रोजगार पैदा होंगे। वहीं कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर को प्रोडक्शन linked इंसेंटिव स्कीम के तहत 10,683 करोड़ रुपये इंसेंटिव के तौर पर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन नीति के तहत मुहैया कराए जाएंगे।
रबी फसलों पर एमएसपी बढ़ाने के सवाल पर गोयल ने कहा कि इस पर सरकार अलग से जानकारी देगी। केंद्र सरकार इसके लिए गन्ने पर एफआरपी को बढ़ा चुकी है। सरकार ने रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय ऐसे वक्त किया है, जब किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग बुलंद कर रहे हैं। किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने के साथ एमएसपी के लिए वैधानिक अधिकार की आवाज उठा रहे हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।