चंडीगढ़ में सरकारी कर्मचारियों के लिए अमित शाह की घोषणा से राजनीतिक तूफान, आप ने कहा-हमारे प्रभाव से डरी बीजेपी

शाह ने कहा कि मैं चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को एक अच्छी खबर देना चाहता हूं। आज से, चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तें केंद्रीय सिविल सेवा के अनुरूप होंगी. आपको (कर्मचारियों को) काफी फायदा होने जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने यहां चंडीगढ़ पुलिस की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद यह घोषणा की। शाह ने कहा कि केंद्र शासित क्षेत्र में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 साल से बढ़ा कर 60 साल कर दी गई है।
कर्मचारियों के लिए घोषणा पर उन्होंने कहा कि यह चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की लंबे समय से की जा रही मांग थी. आज, मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि कल एक अधिसूचना जारी की जाएगी और आगामी वित्त वर्ष (एक अप्रैल से) आपको फायदा मिलेगा।
वहीं इस फैसले का सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने निंदा की है। कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने कहा कि चंडीगढ़ पर नियंत्रण और पंजाब के अधिकारों को हड़पने के भाजपा के तानाशाही फैसले की हम कड़ी निंदा करते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान या उनके मंत्रियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
इस मामले पर आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि-2017 से 2022 तक कांग्रेस ने पंजाब पर शासन किया। अमित शाह ने तब चंडीगढ़ की शक्तियां नहीं छीनी थीं। पंजाब में आप की सरकार बनते ही अमित शाह ने चंडीगढ़ की सेवाएं छीन लीं। आप के बढ़ते कदमों से बीजेपी डरी हुई है।
From 2017 to 2022 Congress ruled Punjab.
Amit Shah didn’t take away Chandigarh powers then.
As soon as AAP formed Govt in Punjab, Amit Shah took away Chandigarh’s services.
BJP is scared of AAP rising footprint. https://t.co/8Dnex4rcWG
— Manish Sisodia (@msisodia) March 27, 2022
गृह मंत्री की घोषणा की शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने एक ट्वीट में आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के नियमों को चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर थोपने का गृह मंत्रालय का फैसला पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावना का उल्लंघन है और इसपर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका मतलब पंजाब को हमेशा के लिए राजधानी के अधिकार से वंचित करना है। भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों पर एक और कुठाराघात है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।