तिवारी सरकार के बनाए गए कानून में बीजेपी सरकारों के संशोधन हों रद्द, भू कानून पर श्वेत पत्र जारी करे सरकारः सूर्यकांत धस्माना
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उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस की तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए कानून में त्रिवेंद्र और धामी सरकारों द्वारा किए गए संशोधनों को रद्द किया जाए। प्रदेश में 2017 से 2024 तक हुई जमीन की खरीद-फरोख्त की जांच हो। प्रदेश सरकार भू कानून पर श्वेत पत्र जारी करे। साथ ही राजधानी और प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहर के जिम्मेदार लोगों का अराजक तत्वों के साथ जुलूस निकालना शर्मनाक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में सख्त भू कानून लाने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा एक शिगूफा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि पहले उनको यह बताना चाहिए कि उत्तराखंड राज्य में पहले से विद्यमान भू कानून, जिसे नारायण दत्त तिवारी की सरकार ने 2003 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि प्रबंधन कानून 1950 की धारा 154 को संशोधित करते हुए बनाया था, उसे नष्ट-भ्रष्ट किसने किया? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने 2003 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि प्रबंधन अधिनियम 1950 की धारा 154 को संशोधित करते हुए यह प्रावधान किया था कि कोई भी उत्तराखंड प्रदेश से बाहर का व्यक्ति अगर आवासीय प्रयोजन से उत्तराखंड में भूमि खरीदना चाहता है, तो वह 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसमें प्रावधान था कि अगर कोई निवेश की दृष्टि से राज्य में उद्योग लगाने या चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भूमि क्रय करना चाहे, तो इस शर्त के साथ कि जिस प्रयोजन के लिए वह भूमि खरीदेगा, उस प्रयोजन के अतिरिक्त अगर वह भूमि किसी और प्रयोजन में इस्तेमाल की गई, तो वह राज्य सरकार में निहित हो जाएगी। साढ़े बारह एकड़ भूमि सरकार से अनुमति लेकर खरीदी जा सकती है। यह व्यवस्था की गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि 2007 में भाजपा सरकार आने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने इसमें एक संशोधन कर आवासीय भूमि की सीमा 500 वर्ग मीटर से घटाकर 250 कर दी, लेकिन बाकी सारे प्रावधान तिवारी सरकार की ओर से बनाए गए कानून के ही रखे। तिवारी सरकार द्वारा तैयार किया गया भू कानून राज्य के लिए सर्वोत्तम था, जो 2017 तक राज्य में लागू रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उस कानून में छेड़छाड़ कर उसे पंगु बनाने का काम शुरू कर दिया। धस्माना ने कहा कि 2018 में इस कानून की मूल भावना को समाप्त कर साढ़े बारह एकड़ की सीमा को हटा दिया गया और इसे ‘आवश्यक भूमि’ कर दिया गया। पहले की सबसे महत्वपूर्ण शर्त में कहा गया था कि भूमि का प्रयोजन बदलने पर भूमि राज्य सरकार में निहित हो जाएगी, इसे भी समाप्त कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि इस कानून पर अंतिम चोट धामी सरकार ने तब की, जब 2022 में बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीदने के लिए अनुमति की शर्त भी समाप्त कर दी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकारों ने तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए भू कानून को निष्प्रभावी बना दिया, जिससे 2018 से 2024 के बीच उत्तराखंड में बाहरी धन्नासेठों ने बड़े पैमाने पर भूमि खरीदी। त्रिवेंद्र सरकार ने कृषि भूमि को भी भू माफियाओं के हाथों खुर्द-बुर्द करने के लिए देहरादून समेत कई शहरों में नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों की सीमा विस्तार कर कृषि भूमि को निकायों में लाकर उन्हें भू कानून के दायरे से बाहर कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि यदि धामी सरकार अपनी पिछली सरकारों की गलतियां स्वीकार कर तिवारी सरकार द्वारा बनाए गए भू कानून को फिर से पूरी तरह लागू करती है, तो उसे 2018 से 2024 के बीच हुई बाहरी लोगों द्वारा भूमि की खरीद पर श्वेत पत्र जारी कर यह बताना चाहिए कि कितनी भूमि खरीदी गई और उसका उपयोग उद्योग या चिकित्सा स्वास्थ्य के अलावा अन्य प्रयोजनों में किया गया है या नहीं। अगर भूमि जन उपयोगी प्रयोजनों में न आई हो, तो उसे राज्य सरकार में निहित किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि भाजपा द्वारा किए गए पापों पर अब एक नया शिगूफा छेड़कर श्रेय लेने की कोशिश की जा रही है, जो प्रदेश जानता है। पिछले दो दिनों से देहरादून में व्याप्त सांप्रदायिक तनाव पर धस्माना ने कहा कि देहरादून और उत्तराखंड एक शांतिप्रिय शहर और राज्य हैं, किंतु कुछ लोग जानबूझकर शहर और राज्य को सांप्रदायिक आग में झोंकने पर तुले हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि देहरादून रेलवे स्टेशन पर भीड़ इकट्ठी होने और फिर पथराव व हंगामा होने की घटना एक सुनियोजित साजिश लगती है। सोशल मीडिया पर चल रही वीडियो फूटेज से यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकरण में किसकी क्या भूमिका है। सवाल उठता है कि राज्य और जिले की खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि शरारती तत्व चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या दल के हों, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। शुक्रवार को पूरे शहर में जो अफरा-तफरी और अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बजाय पुलिस के संरक्षण में सत्ताधारी लोग उनके साथ जुलूस निकाल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्कूल के बच्चे छुट्टी के बाद बड़ी मुश्किल से अपने घर पहुंचे। बाजार में खरीदारी करने आए नागरिक भी परेशानी और दहशत में रहे। पूरे शहर में सुबह से देर शाम तक जाम लगा रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री प्रदेश के गृह मंत्री भी हैं और अगर पुलिस प्रशासन व खुफिया तंत्र राजधानी में अराजकता पर अंकुश नहीं लगा सकते, तो यह पूरी सरकार की विफलता है। पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण महरा के राजनीतिक सलाहकार अमरजीत सिंह और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गिरीराज किशोर हिंदवान भी मौजूद थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।