विवाह पंजीकरण के लिए राज्यकर्मियों के उत्पीड़न का आरोप, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सीएस से की शिकायत

उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों के लिए यूसीसी पोर्टल में विवाह पंजीकरण अनिवार्य है। वहीं, कुछ जिलों के जिलाधिकारियों ने इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी है। साथ ही मार्च 2025 तक अनिवार्य रूप से विवाह पंजीकरण कराने की दशा में ही मार्च माह का वेतन आहरित किए जाने के आदेश कर दिए। जिलाधिकारियों की ओर से ऐसे आदेश को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उत्पीड़न बताया है। साथ ही मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की है। साथ ही आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से उत्तराखंड की मुख्य सचिव को प्रेषित किए गए पत्र में कहा गया है कि राज्य कर्मचारियों के लिए यूसीसी पोर्टल पर विवाह पंजीकरण अनिवार्य रुप से कराए जाने के शासन के आदेश हैं। इन आदेश के विरुद्ध कतिपय जिलों के जिलाधिकारियों की ओर से अपने जिलों में एक निश्चित समय सीमा तय कर दी गई है। जिलाधिकारियों की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मार्च 2025 तक अनिवार्य रूप से विवाह पंजीकरण कराए जाने की दशा में ही मार्च माह का वेतन आहरित किया जाएगा। परिषद ने इन आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पाण्डे एवं महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट के मुताबिक, उत्तराखंड शासन की ओर से अपने आदेश में कहीं पर भी मार्च 2025 तक राज्य कर्मचारियों से अनिवार्य रूप से विवाह पंजीकरण कराए जाने की बाध्यता नहीं रखी गई है। वहीं, नैनीताल, चमोली, पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारियों ने जिला कोषाधिकारियों को पत्र प्रेषित कर मार्च 2025 तक यूसीसी पोर्टल पर विवाह का पंजीकरण न कराने वाले राज्य कार्मिकों का वेतन आहरित न करने के आदेश दिए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद नेताओं ने कहा कि जिलाधिकारियों के आदेश के संबंध में शिकायत राज्य कार्मिकों से परिषद को प्राप्त हुई थी। इसका परिषद द्वारा इसका कड़ा विरोध किया गया है। साथ ही ऐसे आदेशों को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की गई है। साथ ही यह भी मांग की गई है कि जिला एवं तहसील स्तर पर जिलाधिकारियों द्वारा विवाह पंजीकरण शिविर लगाकर उक्त पंजीकरण कराए जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अतिरिक्त राज्य कर्मचारी सयुंक्त परिषद ने एएनएम संवर्ग की मांग के सम्बन्ध में भी सचिव, स्वास्थ्य विभाग, उत्तराखण्ड शासन को प्रेषित पत्र की प्रति मुख्य सचिव को प्रेषित की है। इसमें उनसे अनुरोध किया है कि एएनएम संवर्ग में वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति के लिए रिक्त पदों की संख्या को दृष्ठिगत रखते हुए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने से सम्बन्धित को निर्देशित करने दिए जाएं। तथा जिन एएनएम की सेवानिवृत्ति में मात्र एक वर्ष की अवधि ही शेष है, उन्हें प्रशिक्षण की शर्त से शिथिलता देते हुए पदोन्नति देने के लिए कार्यवही करने की मांग की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मामले विभाग के अन्तर्गत आपूर्ति शाखा के विभिन्न लम्बित प्रकरणों के समाधान के लिए मुख्य सचिव से मांग की है। कहा कि प्रमुख सचिव खाद्य एवं उपभोक्ता मामले विभाग उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता एवं परिषद के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में विभागीय अधिकारियों व संगठन के प्रतिनिधियों की एक बैठक यथाशीघ्र आयोजित कर समस्याओं का निराकरण कराया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।